आम आदमी पार्टी के पांचवे स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में जब कुमार विश्वास ने कहा कि मैं बीते 7 महीने से नहीं बोल पा रहा हूं, तो इसका सीधा संदेश था कि पार्टी में न तो उनकी सुनी जा रही है और न ही शीर्ष स्तर पर उनसे कोई संवाद हो रहा है. उसी कार्यक्रम में कुमार विश्वास ने और भी कई ऐसी बातें कही थीं, जिनका स्पष्ट संकेत था कि वे अब अरविंद केजरीवाल से दो-दो हाथ करने के मूड में हैं. उन्होंने कहा था कि वे पार्टी से अलग हुए विभिन्न लोगों से बातचीत कर उन्हें वापस लाने की कोशिश करेंगे. लेकिन ये कोशिश प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव तक पहुंच जाएगी यह किसी ने नहीं सोचा था.

रविवार को कुमार विश्वास ने यह चौंकाने वाला दावा किया. उन्होंने कहा कि पार्टी से बर्खास्त हुए प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव जैसे नेताओं से वापसी पर बात चल रही है. पार्टी के वॉलन्टियर्स से बातचीत में उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई दूसरे दल में नहीं गया है और वापसी चाहता है या अगर किसी ने राजनीतिक दल बना भी लिया है और फिर भी विलय चाहता है तो यह हो सकता है. यह लिस्ट बहुत लंबी है. सुभाष वारे से लेकर अंजलि दमानिया तक, मयंक गांधी, धर्मवीर गांधी से लेकर प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव तक. ऐसे नेताओं के साथ बात वॉलन्टियर्स बात कर रहे हैं. हम अपनी गलतियों के लिए उनसे माफी मांग लेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी को एंटी वायरस की जरूरत है. उन्होंने कहा कि पार्टी में कुछ एंटी वायरस लगाए जा रहे हैं. ये एंटी वायरस कार्यकर्ताओं के हैं. कार्यकर्ता बताएंगे कि संगठन में कहां दिक्कत है और विधायक कैसा काम कर रहे हैं.

लेकिन कुमार की इस कोशिश में केजरीवाल साथ नहीं हैं और इसी से इस कयास को बल मिलता है कि पार्टी में केजरीवाल के समानान्तर कुमार विश्वाास एक नई राजनीतिक शक्ति स्थापित करना चाहते हैं. जिस तरह से प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया था, उससे तो स्पष्ट है कि केजरीवाल उनकी वापसी पर सहमत नहीं होंगे.

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