गणतंत्र दिवस समारोह और भारत-आसियान वार्ता में शामिल होने के लिए 10 आसियान देशों के प्रमुख दिल्ली पहुंचने लगे हैं. गुरुवार को नई दिल्ली में भारत-आसियान वार्ता का आयोजन होना है. इसमें शामिल होने वाले देशों में लाओस, कंबोडिया, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं. इस साल भारत-आसियान संबंधों के 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं. इस शिखर बैठक का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है, जब इस पूरे क्षेत्र में चीन की आर्थिक और सैन्य हठधर्मिता बढ़ती जा रही है.

इसी सम्मेलन के साथ भारत अपनी एक बड़ी नीति बदलने की तैयारी में है. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने इसे लेकर कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इरादा है कि लुक ईस्ट को अब एक्ट ईस्ट नीति में बदलना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान आसियान के 10 नेताओं की मौजूदगी से भारत निश्चित रूप से अपनी एक्ट ईस्ट नीति को दिखा रहा है. भारत-आसियान संबंधों को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि केवल दो चीजें भारत और आसियान को जोड़ती हैं, एक बौद्ध धर्म और दूसरा रामायण और इन विशेष संबंधों को दोनों क्षेत्रों के युवाओं के बीच प्रचारित-प्रसारित करने की जरूरत है.

इस क्रम में प्रधानमंत्री मोदी आज वियतनाम के प्रधानमंत्री न्गुयेन हुआ फुक, फिलीपीन के राष्ट्रपति रोड्रिगो रोआ दुतेर्ते और म्यांमार की नेता आंग सान सू की से मुलाकात करेंगे. वहीं गुरुवार को प्रधानमंत्री थाइलैंड, सिंगापुर और ब्रुनेई के नेताओं के साथ द्विपीक्षीय बातचीत करेंगे. इसके बाद शुक्रवार को इंडोनेशिया, लाओस और मलेशिया के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री की द्विपक्षीय बैठक प्रस्तावित है. कुल मिलाकर प्रधानमंत्री मोदी भारत-आसियान स्मारक शिखर सम्मेलन के उत्तर दक्षिणपूर्वी एशियाई देशों के साथ नौ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे, जिनमें उनका जोर आतंकवाद के विरोध, सुरक्षा और संपर्क बढ़ाने पर होगा.

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