भोपाल के पुलिस महानिरीक्षक का एक नया आदेश आया है!जिसमें लिखा गया है कि महानिरीक्षक साहब के संज्ञान में लाया गया है कि कुछ थानो के विवेचना अधिकारी, विवेचना के सम्बन्ध में बाहर जाने हेतु! सम्बन्धित फरयादी से ही बाहर जाने हेतु वाहन प्राप्त करने पर कड़ी कार्यवाही करने की बात कही गयी है!एक उदाहरण देने के बाद कुछ प्रश्न म0प्र0 सरकार तथा पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियो से करूँगा! उदाहरण- एक लड़की अपने घर भोपाल से भाग गई थी! लड़की का पता लगा कि वह चंडीगढ़ में है! लड़की का पिता बहुत ही गरीब था ! सम्बन्धित कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक तथा सम्बन्धित विवेचक के बातचीत के अंश विवेचक- सर लड़की का मामला है इनोवा गाड़ी लेकर जाना पड़ेगा लगभग 30 से 40 हज़ार का खर्चा आ जायेगा, लड़की के माता,पिता बहुत गरीब हैं उनसे मदद की उम्मीद करना बेकार है! प्रभारी निरीक्षक- दरोगा जी जाना तो पड़ेगा लड़की का मामला है दो महिला सिपाही तथा दो पुरुष सिपाही भी ले जाने होंगे बगैर इनोवा गाड़ी के बात बनेगी नहीं आप जाने की तैय्यारी करो कुछ इन्तजाम करता हूँ!

इन्तजाम हुआ और पुलिस दल चंडीगढ़ से लड़की को सकुशल बरामद कर लाया,पुलिस विभाग के अधिकारियों ने प्रभारी निरीक्षक,तथा विवेचक,की पीठ ठोंकी पर किसी ने यह नहीं पूछा कि किराये की इनोवा कार से गये थे किराये की ही इनोवा कार से लड़की को बरामद करके लाये कितना खर्च हुआ !जो खर्च हुआ है फलाँ हेड से पैसा ले लेना ! पर अधिकारी ऐसा कह ही नही सकते क्यों कि पुलिस विभाग में ऐसी कोई व्यवस्था है ही नहीं!

गृह मंत्रालय या मुख्यमंत्री की नज़र इस पर नहीं है! कुछ प्रश्न मुख्यमंत्री तथा पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियो से 1- पुलिस का सिपाही इस युग में भी साइकिल भत्ता पा रहा है! क्या यह सम्भव है कि बाइक से भाग रहे अभियुक्त को सिपाही साइकिल से पकड़ लेगा? मजबूरी में सिपाही बाइक से ड्यूटी कर रहा है अधिकारियों के आदेश पर मो०फोन भी अपने पास रख रहा है! सिपाही ये सब खर्चे कैसे पूरा करता होगा सरकार या पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियो को बताने की आवश्यकता है क्या? इसी प्रकार से पुलिसकर्मियों को वर्दी भत्ता,आवासीय भत्ता,अभियुक्त को थाने से न्यायालय ले जाना,अगर न्यायालय ने अभियुक्त को सजा दे दी तो उसको जेल पहुँचाना आदि देख कर हँसी आती है तमाम इन्स्पेक्टरों,तथा उप निरीक्षकों को अपने जेब से पैसा देते मैने देखा है,खास तौर से कोर्ट के काम में तथा पोस्टमार्टम में!

तमाम ट्रेनीज उप निरीक्षकों को काफी दिनो तक वाहन भत्ता नहीं मिला जबकि विवेचना के दौरान या गश्त के दौरान उनके दो पहिया वाहन दौड़ते रहते हैं! मैने कई इन्स्पेक्टरों को तथा उप निरीक्षकों को निजी धन से थानों के वाहन में डीजल,पेट्रोल भरवाते देखा है ! एक बार 20 दिन पुरानी अज्ञात लाश बरामद हुई जिस को पहचानना तक नामुमकिन था जिसका पोस्टमार्टम करवाने थाना प्रभारी महोदय ने दो पुलिसकर्मियों को भेजा अज्ञात लाश ले जाने की व्यवस्था उन पुलिसकर्मियों ने खुद की और पोस्टमार्टम करवाया पोस्टमार्टम करवाने के बाद जब उस लाश का कफन दफन करवाना था तब कोई भी उस लाश को हाथ तक लगाने को तैयार नहीं था उस लाश के पास तक जाने को तैयार नहीं था वह लास्ट किस हद तक सड़ चुकी थी कि जहां से वह पुलिसकर्मी उस लाश को लेकर जा रहे थे उस लाश से आधा किलोमीटर दूर तक लाश की गंध से आमजन परेशान हो चुके थे यहां तक कि कफन दफन करवाने के लिए जिन कर्मचारियों से गड्ढा करने को कहा गया उन्होंने उन पुलिसकर्मियों को मना कर दिया और उनसे कहा कि हम इसको नहीं दफन कर पाएंगे फिर उन पुलिसकर्मियों ने उन्हें कुछ पैसे दिए तब जाकर कहीं उस लास्ट का कफन दफन हो सका |

म0प्र0 सरकार तथा पुलिस विभाग के उच्चाधिकारी इस बात से अनभिज्ञ हैं क्या? की किन किन परेशानियों के साथ व्यवस्थाएं करनी पड़ती है और शासकीय काम को अंजाम देना पड़ता है उसके बाद किस मुँह से राजनेता पुलिस पर भ्रष्टाचारी होने का आरोप लगाते हैं! किसी भी पुलिसकर्मी को किसी भी प्रकार का शौख नहीं है कि उसे भ्रष्टाचारी या बेईमान सुनना अच्छा लगता हो ।।

 

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