मैं भोपाल बोल रहा हूँ..

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मैं भोपाल बोल रहा हूँ..

मुझे बचाने के लिए आप सभी के पास सिर्फ आज का दिन है। जंगलों, तालाबों, हरियाली, बाघों से ही मेरा अस्तित्व है। मेरे विकास के नाम पर मास्टर प्लान 2031 तैयार किया गया। तुम जीवन देने वाले बड़ा तालाब खत्म किया जा रहा है। तालाब के कई हिस्सों को गायब कर दिया। हरे भरे कैचमेंट एरिया में कांक्रीट बिछाने की तैयारी है। कहीं सड़क तो कहीं लैंडयूज के नाम पर खत्म करने की तैयारी है।
कलियासोत, केरवा समेत कई अन्य जंगलों में निर्माणों का प्रावधान किया गया है। इन्हें भी खत्म कर दिया जाएगा। मेरे हिस्से में ऊपर वाले ने 40 बाघों को पनाह दी है। यह भी खत्म हो जाएंगे।
मेरा सवाल है तुमसे..
तुम अपनी शामें बिताने, सुबह की तफरी, छुट्टी के दिन मौज-मस्ती के लिए कहां जाओगे??
मुझे बचा लो..
कई सदियों से मैंने तुम्हें जो कुछ भी दिया है, उसके बदले में ही सही…
मुझे बचा लो…

साथियों भोपाल की आवाज को सुनो, दर्द को समझो। मास्टर प्लान 2031 के नाम पर हमारे शहर की बर्बादी को रोकने के लिए Obj-sugg-bpl@mp.gov.in पर ईमेल कर शहर के प्रति अपना फर्ज अदा करें।

आपत्तियां बिंदुवार हैं-

प्रति

संयुक्त संचालक
नगर तथा ग्राम निवेश
जिला भोपाल

विषय भोपाल विकास योजना 2031 के संबंध मे सुझाव एवं अप्पति

1- कलियासोत डेम के नजदीक ग्राम खुदागंज, बरखेड़ी खुर्द, बरखेड़ी कला क्षेत्र के कुछ क्षेत्र डेम के जलभराव क्षेत्र में आते हैं। इन्हें भोपाल मास्टर प्लान 2005 में दर्शाया भी गया है। प्रस्तावित मास्टर प्लान 2031 में इन गांवों के जलभराव क्षेत्रों को पीएसएपी दर्शाया गया है। कुछ माह पहले नगर निगम ने यहां नियम विरुद्ध हुए निर्माणों को भी तोड़ा था। यह कार्रवाई साक्षी ढाबा से केरवा रोड पर यह कार्रवाई की पर की गई। इसी मार्ग पर आगे चलते हुए केरवा कोठी से केरवा डेम ग्राम मेंडोरा में वनस्पति उद्यान जो वर्तमान मास्टर प्लान में है, कि जगह रेसीडेंसियल जनरल 05 में दिखाया गया है। जो कि वाटर बार्डी के लिए नुकसान देह हैं। इसके अलावा कलियासोत डेम के ऊपरी हिस्से ग्राम सिंगपुर में वर्तमान मास्टर प्लान में वनस्पति उद्यान है, इसके भोपाल मास्टर प्लान 2031 में पीएसपी दर्शाया गया है। बता दें कि यह वहीं क्षेत्र है जहां भोपाल उत्सव मेले का नियम विरुद्ध आयोजन कराया गया था। यह भी कलियासोत डेम के लिए हानिकारक है।

2- ग्राम चंदनपुरा, चीचली, मेंडोरा, मेंडौरी, छावनी उक्त क्षेत्र माननीय उच्चतम न्यायालय केस नंबर wp202/1995 के आदेश दिनांक 12-12-96 गोधावर्मन में परिभाषित वन की श्रेणी में आता है। जिसकी पुष्ठि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायू परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल मध्यप्रदेश की रिपोर्ट से होती है। साथ ही इसी रिपोर्ट के आधार पर एनजीटी ने दिनांक 06-02-2020 को आदेश जारी कर क्षेत्र को तीन माह के अंदर जंगल मेपिंग कर नोटिफाइ कर वन विभाग को जंगल की भूमि हस्तांतरित करने का आदेश भी दिया है। यह क्षेत्र रातापानी अभ्यारण से जुड़ा हुआ है। अतः उक्त क्षेत्र बाघ भ्रमण क्षेत्रों में आता है। वन विभाग के पत्र मुताबिक 40 बाघों का भ्रमण क्षेत्र बताया गया है। स्थाई रूप से उक्त क्षेत्र में 20 बाघ आश्रित हैं। यह बाघों का प्रचनन क्षेत्र भी है। इसकी पुष्टि माननीय केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर जी द्वारा 22-04-2020 को वर्ष 2018 में टाइगर सेंसिज रिपोर्ट से होती है। अतः यह क्षेत्र संवेदनशील होने के कारण संरक्षित किया जाना चाहिए। प्रस्तावित भोपाल मास्टर प्लान 2031 में उक्त क्षेत्र को पीएसपी दर्शाया गया है। जो आपत्तिजनक है। यूआरडीपीएफआई गाइडलाइन एवं फारेस्ट एक्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 के मुताबिक वन विभाग की अनुमति भी ली जानी थी। जो नहीं ली गई।

3- प्रस्तावित मास्टर प्लान 2031 में वन क्षेत्रों में सड़क निर्माण की प्लानिंग को दर्शाया गया है। वर्तमान मास्टर प्लान में उक्त (बिंदु क्रमांक 02 में दिए गए ग्राम) क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण की प्लानिंग की गई। प्रस्तावित मास्टर प्लान 2031 के खंड 01 के क्रमांक 1.7.4 में स्पष्ट टीएंडसीपी द्वारा लिखा गया है कि वन क्षेत्रों के कारण यहां निर्माण नहीं हो सका। अतः यह गलती दोबारा प्रस्तावित मास्टर प्लान 2031 में किया जाना आपत्ति जनक है। वन क्षेत्रों के प्रावधानों को लेकर किए गए प्रावधानों व संरक्षण के
दावों में अंतर दिखाई देता है। मास्टर प्लान 2031 के खंड 1 (वर्तमान स्थित, अध्ययन एंव विश्लेषण) के 6.1.4 में स्पष्ट नजर आता है।

 

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