अतीत की स्मृतियों में जब भी कभी भटक रहा होता हूँ तो मैंने यही अनुभव किया है कि दोस्ती और मोहब्बत हाथों में हाथ लिए चलती हैं। यारा-दिलदारा जैसे जुमले यूँ ही तो नहीं बनते न? मेरी सभी प्रेमिकायें मेरी अच्छी दोस्त भी रही हैं। यह बात हमारी पीढ़ी को ‘कुछ कुछ होता है’ के राहुल और अंजली ने बताई थी कि प्यार दोस्ती है। अगस्त का पहला रविवार हम दोस्ती के दिन के रूप में ही मनाते हैं। जीवन में कम से कम एक दोस्त तो ऐसा होना ही चाहिए जिससे आप सब कुछ साझा कर सकें। दोस्ती हमारे जीवन का सबसे खूबसूरत रिश्ता होता है। जो बात हम अपने माता-पिता-भाई से नहीं कह पाते वो हम अपने बंधु से कह जाते हैं। कुछ लोग दोस्ती को एक अलग ही नरमी और नमी दे जाते हैं। इन्हीं से जीवन सुगंधित और समृद्ध बनता है। कुछ की खुशबू सदा साथ रहती है तो कुछ स्मृति की गलियों को महकाती रहती हैं।

अपने जीवन को जब बाँट कर देखता हूँ तो धनबाद से लेकर भागलपुर और दिल्ली से लेकर मुंबई तक की इस यात्रा में कई दोस्त बने। आज के दिन वे सब याद आये। स्कूल का दोस्त ऑरोविल, कॉलेज का गौरव और यूनिवर्सिटी में वरुण ये सब आज भी मेरे अच्छे दोस्त हैं। दिल्ली में रहते हुए गीतांजलि, प्रीतिलता और शालिनी जैसे दोस्त मिले। शालिनी से तो मैंने बाद में शादी भी की। अब तो शादी को भी दस साल गुज़र गए। एक सुबह दिल्ली छोड़ कर मुंबई चला आया। यहाँ रीतेश, शिखा और संजय जैसे मित्र मिलें। इरशाद भाई से गहरी दोस्ती हुई। निमिषा मिली जिससे जीवन को एक अलग ही रंग मिला। आज मैं अपने सभी दोस्तों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करता हूँ। बहुत कम लोग जानते हैं कि मैं स्वभाव से अंतर्मुखी रहा हूँ और कभी-कभी मुझे अपना साथ भी गंवारा नहीं होता। ऐसे में जीवन ने कुछ दोस्त दिए हैं तो यह ऊपरवाले का करम ही तो है! दोस्ती ज़िंदाबाद रहे, ज़िंदगी और दुनिया आबाद रहे आज के दिन इससे ज़्यादा कोई क्या चाहेगा?

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