विजय माल्या और नीरव मोदी ने हमारे देश को अरबों का चूना लगाया है और अब ये लोग दुसरे देश में जाकर बड़े ही आराम से बस चुके हैं. इन लोगों ने भारतीय बैंको से अरबों का क़र्ज़ लिया था जिसे ये चुका नहीं सके और देश छोड़कर चम्पत हो गए हैं, लेकिन इन सब में ख़ास बात यह रही कि सरकार को इन डिफॉल्टर्स के बारे में कानों-कान भनक नहीं लगी. अब देश के लुट जाने के बाद सरकार को शायद होश आ गया है तभी तो सरकार की तरफ से विलफुल डिफॉलटर्स की जानकारी न्यूज़ पेपर में छापने का प्रस्ताव रखा गया है.

दरअसल वित्त मंत्रालय ने सभी सरकारी बैंकों को निर्देश दिया है कि बोर्ड से क़र्ज़ नहीं चुकाने वालों की तस्वीरें छापने की मंज़ूरी लें. दिसंबर 2017 तक विलफुल डिफॉल्टर, जिनके पास क्षमता है लेकिन फिर भी लोन नहीं चुका रहे, उनकी संख्या 9063 हो गई है. इस मौके पर एक बात सभी के दिमाग में आ रही है कि आखिर सरकार इतनी देर से क्यों जाग रही है, भाजपा की सरकार के दौरान ये दूसरा मौक़ा है जब कोई शख्स देश के बैंको को छूना लगाकर विदेश फरार हो गया है.

सरकार आखिर करना क्या चाहती है ये बात साफ़ नहीं हो पा रही है क्योंकि सरकार की नाक के नीचे देश को चूना लगाया जा रहा है, जब बड़ी मछलीयां देश का इतना सारा धन निगल गयी हैं तब छोटी मछलियों को पकड़कर देश का क्या भला होगा, लेकिन ये बात सरकार को कौन समझाएगा.

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गौर तलबहै कि नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या और जतिन मेहता समेत कई बड़े नाम देश छोड़कर बाहर चले गये हैं और जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करने से इनकार किया है. इससे वसूली प्रक्रिया प्रभावित हुई है. इसके अलावा वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 50 करोड़ रुपये से अधिक के सभी फंसे कर्ज( एनपीए) वाले खातों की जांच करने तथा उसके अनुसार सीबीआई को रिपोर्ट करने को कहा है.

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