साथीयो अभि सुबहके चार बजकर बारह मिनट हो रहे हैं ! 2 अक्तूबर मेरे जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव रहे मोहन से महात्मा का 79 साल के जीवन जिनेवाले महान विभूतिका 151 वीं जयंती का दिन हैं ! उन्हे विनम्र अभिवादन !

कल दिनमे भागलपुर के दंगेके कारण एक मित्र बने हुए परिवार के दामाद की फेसबुक पोस्ट देखकर मै आचंबित हुआ! कारण उस दामादजीने अपने बेटे की काला कोट पहने हुए तस्वीर लेकिन मास्क पहनकर होनेके कारण मै अशवस्त नहीं हूँ पर हमारे दामाद पोस्टमे लिख रहे हैं कि यह हमारा बेटा है ! और सामनेवाले लाईन में लालकृष्ण आडवाणी जी भी मास्क पहनकर बैठे हैं और लखनऊ विषेश सी बी आई अदालत का फैसला 30 सितम्बर के दिन ऑन लाइन देख रहे हैं !

हमारे दामाद जी पोस्ट मे लिख रहे हैं कि पिछे काले कोट में बैठे हुए हमारे बेटे है जो अडवाणी जी के वकीलो मे से एक है ! और मुझे अब बेटे के बारेमे की कोई चिंता नहीं रही है और अब उसकी कामयाबी की मुझे खुशी हो रही है इस अर्थ की वह पोस्ट है !

मै हमारे दामाद जी को शादिके पहले से जानता हूँ क्योकिं जिस परिवार की बेटी के साथ उनकी शादी हुई वह उस घर की बेटी है जिस घर में 24 अक्टूबर 1989 के दिन शिला पूजा जुलूस के कारण भागलपुर में दंगा शुरु हो गया था और इस परिवार ने अपने घर में 70 के आसपास उस मोहल्ला के मुसलमान परिवार वालोको अपने घर में पनाह दी थी और शायद तिन दिन तक उन्हे सुरक्षित रखते हुए बार बार कोतवाली पुलिस स्टेशन के चक्कर काट ने के बावजूद पुलिसने उन मुस्लीम परिवार वालोको सुरक्षित जगह ले जाने के बजाय इनके घर के कई चिजोको तोड़फोड़ कर कुछ ही समय में दंगाई भीड के हवाले छोड दिया और 23 लोग इनके घर पर मारे गए लोगों के बीच कोई दुध पिता बच्चा था तो कोई बुजुर्ग महिला तो कोई जवान !

मैंने यह सब कुछ नलिनी सिह के आँखो देखी नामके दूरदर्शन पर एक भागलपुर का सच नामकी रिपोर्ट मे देखी थी तो अक्तूबर के अखिर में हुए दंगेकी स्तिथी देखने मै मई 1990 के प्रथम सप्ताह में वह भी गौर किशोर घोष और वीणा आलासे नामके मित्रोके आग्रह पर गया था और एक सप्ताह में जितना भी देखना समझना था ऊसी कडिमे मुझे नलिनी सिह के कवरेज की याद आई तो इस घर पर गये थे और लगभग छ महीने से भी अधिक समय होने के बावजूद घर के दिवारो पर खून के फौवारे,अधजली घर की खिड़किया दरवाजे,तलवारे या भालोसे तोड़े गए सोफ़ा सेट सब नजारा देख कर लगा की यह बिल्कुल ताजी घटना है !

और ऊसी घर में यह बच्ची ! हा बच्ची ही क्योकिं यह वकील की मा उस समय 20-22 साल की कन्या थी ! और उसकी माँ जो किसी सरकारी स्कूल की प्रधानाचार्य थी 40-45 साल की और इस बच्ची की 70-80 साल की दादी माँ ऊपर वाले मंजिल पर रह रहे थे और निचे के हिस्से में मकानकी देख भाल के लिए एक परिवार जो पीढियों से वही कामके लिए रह रहा था ऊपरी हिस्से को यह तिनो महिलाये किराये से रह रहे थे और मालिक अपनी जमिनदारी के लिए गांव में रहते थे ! 24 अक्तूबर के मुसलमानोको पनाह देने की पहल रखवाली के काम कर रहे मुन्ना सिह ने की यह मैंने नलिनी सिह के कवरेज में देखा था और मुन्ना सिह का मकान कहा है यह गाँधी पिस सेंटर भागलपुर के एक कार्यक्रम में किसीको पुछा तो उन्होने हाथमे बाल्टी लेकर सब्जी या दाल कार्यक्रम के खाने के समय परोस रहे थे तो भोजन के बाद मैने पूछा कि आपकों समय हो तो मैं आपके घर आना चाहता हूँ तो वह तुरंत ही मुझे लेकर गये तब मैने वहा पर जो कुछ देखा वह ऊपर लिख चुका हूँ ! वह ऊपर वाले हिस्से में भी लेकर गये थे और तब इस बच्ची और इसकी माँ और दादीजी के साथ परिचय हुआ ! मई की 6-सात तारीख होगी! क्योकि हम लोग 5 मई को पहुचे थे और यह दुसरे दिन का प्रसंग है !

इसके बाद भागलपुर ग्रामिण इलाके में चार पांच दिन घुमे होंगे अनायास लूथरन सर्विस के प्रसाद चाको अपनी जीप लेकर घूम रहे थे तो हम भी उनको जॉइन हो गये ! सौ सवासौ गाव गये होँगे बिल्कुल एक ही नजारा देखने को मिला गाव के सभी मुसलमानोके मकानो को धराशायी कीया हुआ था और उसमे सिमेंटेड पक्के मकान भी ! और अगर मस्जिद थी तो वह भी धाराशाइ ! उसके गिरे हुए मलबे में मीनार या गुम्बद पर माँ दुर्गा का मन्दिर या हनुमानजी का कोलतार से लिखा हुआ था !


भागलपुर में रेशम के कपड़े का शेकडो वर्ष पुराना काम होता है इसलिये भागलपुर का दूसरा नाम रेशमनगरी भी कहा जाता है ! एक तरह से यही वहा का एक मात्र उद्यम कहा तो भी गलत नहीं होगा ! हजारो अधजले लुम के रास्तोपर एक कतार में पडे हुए अवशेष देखे और मनुष्य हानी का क्या कहे कुल मिला कर 3000 के आसपास लोग मारे गए लोगों में कोई परिवार के सभी सदस्यों को मारा गया तो सिर्फ एक छोटा बच्चा बचा है,किसी परिवार के लोगों मे सभी मारे गए सिर्फ एक बुढा या बुढ़ी बची है,कहा सिर्फ एक जवान बेटी वह भी तालाब में कूदकर मुहमे पपीते की नली से हवा लेते हुए पानिमे छुपी ईसलिये बच गई ! लोगाव नामके गावमे 115 बॉडी खेत मे मट्टी डालकर ऊपर से गोबी की फसल लगा दी ! भतोडीया के एक कुवॉ पर देखा चारो तरफ चूडियां टूटी हुई बिखरी पड़ी और लम्बे-लम्बे बाल ! यह सब देख कर 100 के बाद मैने प्रसाद चाको जिको कहा कि अब और नहीं देख सकते हैं ! इतना देखकर ही मेरी नींद गायब हो गयी है और आँखो के सामने वह नजारा घुमते रहता है ! तबसे मै इन्सोमिनीयका मरीज बना हूँ ! उस समय मैं 36-37 साल की उम्र का था और तब से ही बीपी काभी मरीज बना हूँ ! और मै 1953 पैदा होने के बाद इस तरह के हत्याओं का नजारा पहली बार देखा था और उसकी ईंटेंसीटी देखकर लगा कि यह भारतीय उपमहाद्वीप के आने वाले 50 साल की रजनिति इसी सांप्रदाईकताके इर्द-गिर्द हमारी राजनीति चलेगी और उस रजनितिके मुख्य नेता लालकृष्ण आडवाणी जी थे जो लगातार रथयात्रा और मंदिर वही बनायेंगे के नारों के साथ पूरे देश को ही सांप्रदाईक रजनितिके चक्रहूँमे डालने का काम कर रहे थे ! और आज देश के हिस्से में जो भी स्तिथी लाकर रख दी है इसके मुख्य शिल्पकार तो वही है ! नरेंद्र मोदी तो उनकी संजीवनी बूटी से राजनितिमे जिंदा है ! वरना गोआ के अधिवेशन में नरेंद्र मोदी जी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दीजिए यह अटल बिहारी वाजपेयी और अन्य नेताओं ने तय कर लिया था लेकिन लाल कृष्ण आडवाणी जी ने अपने वीटो का इस्तेमाल करके इन्हे बचाया है !

सांप्रदाईक समस्या के सामने विस्थापन,किसान आत्महत्या,बेरोजगार,शिक्षा,स्वास्थ,महंगाई,गरीबी जैसे रोजमर्रा के जीवन से संबंधित मुद्दे गौण हो जायेंगे और यह मेरा आकलन मैने लिखा,देश के कई हिस्सों में मुन्ना सिह को लेकर घूमकर घूमकर बोला लेकिन कोई भी इस बात को गंभीरता से नहीं ले रहा था उल्टा कहते थे यह महात्मा गाँधी,रवींद्रनाथ,विनोबा,लोहिया,बाबा साहब आंम्बेडकरजी का देश है आप एक भागलपुर दंगा क्या देख लीया और भावना में बहकर अतिशयोक्ति कर रहे हो !

मुझे बहुत अफसोस है कि लोगों की बात गलत निकली और मेरि सही ! मुझे रत्तीभर भी नहीं लगता है कि देखो मेरा अपना आकलन सही निकला !

1950 मे स्थापित दल जो 30 साल बाद बिजेपी के नाम से जाना जाता है और उसका मातृ संघटन 1925 मे स्थापन हुआ था भारत की आजादी के आंदोलन मे भाग ना लेने की तय रणनीति,किसिभी गैरबराबरी मिटाने या ऐसा कोई जन आन्दोलन नहीं किया जिसका दलित,आदिवासियो एवं महिलाओ के लिए या मजदूरों,किसानो के लिए कुछ किया हो ? और उसके बावजूद सिर्फ 30 साल के भीतर सिर्फ आस्था की बात करते हुए पूरे देश की तासीर बदल डाली ! और वह कम लगा तो सभी सरकारी उद्योग औने पौने दामौमे बेचकर और किसान,मजदूर,बेरोजगार,स्वास्थ जैसे रोजमर्रा की जिंदगी के सवालो को छोड़कर सिर्फ मन्दिर मस्जिद में उलझाने वाले लोग वह भी क्रिमिनल हरकत करने वाले को बाईज्जत बरी किये जाते हैं!और हमारे अपनेहि परिवार वह भी भागलपुर से संबंधित ! इस बात पर गौरव करता हो ? जो खुद भृक्त्भोगी रहा हो! तो निंद नहीं उडेगी ?

आज गाँधी जी के जिवन के 151वे जन्मदिन की सुबह सुबह मै यह पोस्ट लिख रहा हूँ ! जो आदमी 30 साल से भी अधिक समय से भारत की आजादी के आंदोलन को नेतृत्व प्रदान करने के बाद 15 अगस्त 1947 का जस्न छोडकर कलकत्ता और नोवाखली के दंगाग्रस्त इलकोमे अकेला घूम रहा है ! और मुझे भी आजसे तीस साल पहले के भागलपुर दंगाग्रस्त क्षेत्र में घुमते हुये सिर्फ और सिर्फ नोआखाली के दंगे की बाद की स्तिती को देखकर कुछ अपनी प्रार्थना सभाओ के द्वारा लोगों को बार-बार समझाने की कोशिश करने वाले गाँधी ही याद आ रहे थे और अभि भी बरबस याद आ रहे हैं ! बापुको प्रणाम !

डॉ सुरेश खैरनार 2 अक्तूबर 2020,नागपुर

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