भारतीय-अमेरिकी उद्यमी, सिविक लीडर, समाजसेवी और परोपकारी फ्रैंक इस्लाम ने अमेरिका दौरे पर आईं युवा सऊदी महिला उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप न केवल सऊदी अरब, बल्कि दुनिया का भविष्य हैं. मैं आप से, आपकी कहानी से और आपके अबतक के सफ़र से बहुत प्रभावित हूं.

महिलाओं द्वारा संचालित सऊदी स्टार्ट-अप्स की 15 प्रतिनिधियों ने फ्रैंक इस्लाम से व्यापार की बारीकियां सीखने के लिए एक घंटे तक सीधी बातचीत की. इन महिलाओं में ज़्यादातर का सम्बन्ध मुसलमानों के दूसरे सबसे पवित्र शहर मदीना से था. गौरतलब है कि फ्रैंक इस्लाम के ज़मीन से आसमान तक पहुंचने की सफलता एक अनोखी कहानी है. आजमगढ़ से अलीगढ़ और अलीगढ़ से अमेरिका तक अध्ययन के लिए उनकी यात्रा और फिर अमेरिकी उद्यमिता की उनकी यात्रा पिछले तीन दशकों से लोगों का प्रेरणा स्त्रोत बनी हुई हैं. अमेरिकी उद्यमिता का सफ़र उन्होंने 500 डॉलर से शुरू किया था और केवल 13 वर्ष बाद उनके कारोबार का सालाना टर्न-ओवर 300 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया. आज उनकी कंपनी में 3000 कर्मचारी काम करते हैं. अब उद्यमिता बारीकियां सीखने की बारी मदीना की लड़कियों की थी, जिनकी उम्र 20 के आसपास थी और जिन्होंने अभी-अभी अपना स्नातक पूरा किया था.

दरअसल, ये लड़कियां सऊदी अरबिया-हैल्सियोन इनक्यूबेटर इंटेंसिव प्रोग्राम के तहत यहां आई हुई थीं. इस कार्यक्रम को हैल्सियोन ने वाशिंगटन में आयोजित किया था. दो सप्ताह तक चले इस कार्यक्रम में सऊदी अरब में महिलाओं द्वारा स्थापित प्रारंभिक चरण की सात सामाजिक उद्यमों को आमंत्रित किया गया था. हैल्सियोन के एक अधिकारी ने कहा कि इस संक्षिप्त लेकिन गहन कार्यक्रम का मकसद सऊदी उद्यमियों को अपना व्यपार बढ़ाने के लिए नई जानकारियों, नए ज्ञान कौशल और नए संसाधनों से अवगत कराना था.

इस प्रोग्राम के लिए फ्रैंक इस्लाम को निमंत्रण देते हुए आयोजकों ने कहा था कि फ्रैंक, अमेरिकी-मुस्लिम समुदाय में आपकी अग्रणीय हैसियत, अमेरिका और भारत में सामाजिक उद्यम के प्रति आपकी रूचि और उसके लिए आपके समर्थन और खास तौर पर एक उद्यमी के रूप में आपकी व्यक्तिगत सफलता के मद्देनज़र सऊदी महिलाओं के समूह के लिए आपका सम्बोधन काफी महत्वपूर्ण है.

बहरहाल, उभरते उद्यमियों के साथ अपनी यात्रा और अपने अमेरिकी अनुभव को साझा करते हुए फ्रैंक ने कहा कि मैं 15 वर्ष की आयु में भारत से सात समंदर पार अपने अमेरिकी सपने को साकार करने आया था. जब मै यहां आया था तो मेरे पास आत्मविश्वास के सिवा कुछ भी नहीं था. दरअसल मुझे अपने अमेरिकी सपने पर पूरा भरोसा था.

सफल व्यापार का मंत्र बताते हुए फ्रैंक इस्लाम ने कहा कि व्यापार शुरू करने से पहले जिन तत्वों की आवश्यकता थी, उन्हें मैंने पहले हासिल किया. ये तत्व थे अच्छी शिक्षा, अच्छा अनुभव, सफल उद्यमी बनने की जिज्ञासा और प्रतिभाशाली लोगों की एक टीम. उन्होंने कहा कि हमने अपने प्रबंधन और अपने प्रतिभावान कर्मचारियों की मदद से एक व्यक्ति की कम्पनी को 3000 कर्मचारियों की कंपनी में बदल दिया और 13 वर्षों में अपना टर्न ओवर 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक ले जाने में कामयाब रहा.

युवा सऊदी उद्यमियों ने खुल कर फ्रैंक से अपने प्रश्न पूछे. जवाब में, उन्होंने सफलता के कुछ मंत्रों से उन्हें अवगत कराया, जो इस प्रकार हैं.

  • विफलताओं ने मुझे सिखाया कि कभी पीछे न हटो.
  • अवसरों को पहचानों और जोखिम उठाने को तैयार रहो.
  • जो चीज़ आम लोगों को चुनौती लगती है, उद्यमी उसे अवसर के रूप में देखता है.
  • अपने प्रतियोगियों से कुछ अलग करो.
  • अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश करो.
  • अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करो.

अपने मूल्यवान सुझावों का समापन करते हुए फ्रैंक ने सऊदी लड़कियों को सलाह दी कि जिस तरह बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स या मैंने अपनी यात्राएं अपने ढंग से की, आप लोग भी अपनी यात्रा वैसे ही करें और अपने प्रति ईमानदार बनी रहें. अपने इर्द-गिर्द प्रतिभाशाली लोगों को रखें, जिनकी दृष्टि और सोच आपसे मेल खाती हो. छोटा सोचो और बड़ा हासिल करो! यह मेरा मूल मंत्र रहा है. जाते-जाते उन्होंने इन लड़कियों से अनुरोध किया कि जब आप सफल हो जाएं, तो दूसरों को भी सफल बनाने में मदद करें. मदीना की लड़कियों की आंखों में आशा और सपनों की चमक देख कर भारत में जन्मे फ्रैंक इस्लाम अपनी भावना को रोक नहीं सके. उन्होंने कहा कि आप सऊदी अरब का भविष्य हैं. आप दुनिया का भविष्य हैं. यदि आप सफल होती हैं, तो हमारे प्रयास सफल होंगे, सऊदी अरब सफल होगा और दुनिया सफल होगी. आप कल की आशा हैं और मुझे आशा है कि कल का दिन पूरी दुनिया के लिए बेहतर दिन होगा.

अंत में फ्रैंक और उनकी पत्नी डेबी ने सऊदी समूह को वाशिंगटन के बाहरी इलाके में स्थित अपने मल्टी-मिलियन डॉलर निवास नॉर्टन मनोर में इन सऊदी महिलाओं को आमंत्रित किया. इन सऊदी महिला उद्यमियों के समूह में असमा अब्देल मोहसिन, जैनैब हौसा, नादा मुहम्मद सम्मन, एबतेहाल नायफ अल-मोहमादी, हिबा जहिद, बुशरा अल-गामदी, सारा जबिर, आलीया जैदान आदि शामिल थीं.

—मुमताज़ आलम

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