देश के मशहूर वकील और  राज्यसभा सांसद राम जेठमलानी का 95वर्ष की उम्र में निधन हो गया. वे लम्बे समय से बीमार चल रहे थे.  राम जेठमालीन के निधन से देश न्यायिक क्षेत्र में एक युग के अंत माना जा रहा है.

प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने जेठमलानी के निधन पर दुख व्यक्त किया और कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि उनके साथ बातचीत करने के कई मौके मिले. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ”श्री राम जेठमलानी जी के निधन से भारत ने एक असाधारण वकील और प्रतिष्ठित सार्वजनिक व्यक्ति को खो दिया, न्यायालय और संसद दोनों में उनका समृद्ध योगदान रहा. वह मजाकिया, साहसी और कभी भी किसी भी विषय पर मजबूती से अपनी बात कहने से नहीं कतराते थे.”

पीएम ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, ”श्री राम जेठमलानी जी के सबसे अच्छे पहलुओं में से एक उनके मन की बात कहने की क्षमता थी और उन्होंने बिना किसी डर के अपने मन की बात कही. आपातकाल के काले दिनों के दौरान उनकी स्वतंत्रता और सार्वजनिक स्वतंत्रता के लिए लड़ाई को याद किया जाएगा. जरूरतमंदों की मदद करना उनके व्यक्तित्व का एक अभिन्न हिस्सा था. मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे श्री राम जेठमलानी जी के साथ बातचीत करने के कई अवसर मिले. इन दुखद क्षणों में, उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदना. अब वो नहीं है लेकिन लेकिन उनका काम हमेशा मार्गदर्शन करेगा. शांति.”

गृह मंत्री अमित शाह ने अमित शाह ने भी ट्वीट करते हुए कहा कि,  ”भारत के वयोवृद्ध वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री राम जेठमलानी जी के निधन के बारे में जान कर गहरी पीड़ा हुई. हमने ना केवल एक प्रतिष्ठित वकील को खो या बल्कि एक जिंदादिल महान इंसान को भी खोया है. राम जेठमलानी जी का निधन पूरे कानूनी समुदाय के लिए एक अपूरणीय क्षति है. कानूनी मामलों पर उनके विशाल ज्ञान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा. शोक संतप्त परिवार के प्रति मेरी संवेदना. शांति शांति शांति.”

आपको बता दें कि 14 सितंबर 1923 को पाकिस्तान के सिंध में जन्मे रामजेठमलानी आपराधिक मामलों के जाने माने वकील रहे. वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कानून मंत्री भी रहे. वे बार बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने कई हाई प्रोफाइल आपराधिक मामलों को लड़ा और जीते. राम जेठमलानी के नाम के बेहद खास रिकॉर्ड है, आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने 17 साल की उम्र में ही वकालत पास कर ली थी. ऐसा करने वाले वे देश के पहले और इकलौते शख्स थे. उस वक्त कोर्ट में प्रक्टिस करने की औपचारिक उम्र 22 साल होती थी लेकिन राम जेठमलानी ने अपना खुद का केस तैयार किया और उसे कोर्ट में पेश किया. इसके बाद कोर्ट की विशेष अनुमति के बाद उन्हें अपना केस लड़ने का मौका मिला और इस तरह उन्होंने 18 साल की उम्र में वकालत शुरू कर दी थी.

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