truckगया जिले के अन्तर्गत आने वाला जीटी रोड इन दिनों मादक पदार्थों की तस्करी का केन्द्र बन गया है. इस राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या-2 से प्रतिदिन बड़े पैमाने पर मादक पदार्थों को दूसरे राज्यों में भेजा जाता है. इसके लिए एक बड़ा नेटवर्क बना हुआ है. इस नेटवर्क में स्थानीय से लेेकर बाहर के लोग व तस्कर शामिल हैं.

गत एक पखवाड़े में झारखंड की सीमा से लगे बिहार के गया जिले के बाराचट्‌टी थाना क्षेत्र के अंतर्गत जीटी रोड स्थित दो लाइन होटलों से बड़ी मात्रा में पकड़े गए अफीम तथा अफीम के डोडा ने यह साबित कर दिया है कि इस क्षेत्र से देश के विभिन्न हिस्सों में मादक पदार्थों की तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है. जीटी रोड से लगे बाराचट्‌टी के सूर्य मंडल से लेकर भलुआ क्षेत्र में बड़ी संख्या में लाइन होटल और ढाबा हैं. इन होटलों और ढाबों के संचालक बाहरी व्यक्ति हैं, जिसमें ज्यादातर पंजाब और हरियाणा के निवासी हैं. होटल की आड़ में ये लोग मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त हैं. यह धंधा ऐसे किया जाता है जिसे होटल पर आने वाले आम लोग समझ ही नहीं पाते हैं.

24 अपै्रल 2018 को बाराचट्‌टी थाना क्षेत्र के पटियाला होटल से बड़ी मात्रा में अफीम और डोडा की बरामदगी हुई, लेकिन किराये पर होटल चलाने वाला संचालक जस्सी फरार हो गया. वह पंजाब से आकर होटल की आड़ में अफीम की तस्करी कर रहा था. इस बात का खुलासा होने पर लाइन होटलों पर जब नजर रखी जाने लगी तो 3 मई 2018 को पुन: इसी थाना क्षेत्र के जीटी रोड पर भलुआ बाजार के नजदीक स्थित पाटलीपुत्र ढाबा से 50 किलो डोडा बरामद किया गया. साथ ही होटल संचालक जंग विजय यादव एवं उसके पुत्र नवीन कुमार को गिरफ्‌तार किया गया. ये दोनों बाप-बेटा बाराचट्‌टी के तेतरिया गांव निवासी हैं. पिछले 10 साल से होटल की आड़ में यह अफीम की तस्करी कर रहा था.

गया जिले का बाराचट्‌टी झारखंड की सीमा से लगा है और अफीम की खेती के लिए चर्चित रहा है. इसमें नक्सलियों की भी बड़ी भूमिका है. अफीम की खेती को हर वर्ष सुरक्षा बलों द्वारा नष्ट किया जाता है, लेकिन जितना नष्ट किया जाता है, दूसरे साल उससे अधिक क्षेत्रों में पुन: अफीम की खेती की जाती है. 2 दिसम्बर 2017 से स्थानीय पुलिस और बीबी फेसरा कैम्प के पुलिस पदाधिकारियों ने लगातार अफीम की खेती को नष्ट करने की कार्रवाई की. करीब 250 एकड़ में लगी अफीम की फसल को नष्ट किया गया. दर्जनों लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई, लेकिन अफीम की खेती पर रोक नहीं लगी. ऐसा तब है जब इस क्षेत्र में सीआरपीएफ के बिहार कोबरा बटालियन का मुख्यालय है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मादक पदार्थों का इस क्षेत्र में कैसा जाल फैला है.

इस क्षेत्र में तैयार अफीम को स्थानीय होटल-ढाबे के माध्यम से दूसरे राज्यों में भेजा जाता है. कुछ महीने पूर्व बाराचट्‌टी के जीटी रोड से इस मामले में दो तस्करों को गिरफ्‌तार किया गया था. दोनों उत्तर प्रदेश के थे. इस क्षेत्र से अफीम की आपूर्ति उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा से लेकर दिल्ली तक की जाती है. अफीम का कारोबार करने वालों का विभिन्न राज्यों में एक बड़ा नेटवर्क है. एक पखवाड़े में जब्त किए गए अफीम और 2 लोगों की गिरफ्‌तारी के बाद इस बात की पुष्टि हो गई कि जीटी रोड के इस क्षेत्र से अफीम की तस्करी का बड़ा कारोबार होता है. पुलिस ने भी इस बात की पुष्टि की है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश से बाराचट्‌टी क्षेत्र में आकर लोग किराये पर होटल चलाने की आड़ में मुख्य रूप से अफीम की तस्करी का धंधा करते हैं.

पुलिस ऐसे होटलों व ढाबों को चिन्हित कर रही है. बिहार-झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्र में अफीम की खेती रोकने के लिए गया के जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में गत वर्ष महत्वपूर्ण बैठक हुई थी, जिसमें नारकोटिक्स के पदाधिकारियों ने भी हिस्सा लिया था. इस बैठक में अफीम की फसल को नष्ट करने के साथ-साथ ऐसी व्यवस्था करने का भी निर्णय लिया गया कि अफीम की फसल नहीं हो सके. परन्तु अफीम की खेती प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है. हर साल सुरक्षा बल सैकड़ों एकड़ में लगी अफीम की फसल को नष्ट करती है, फिर भी बड़े पैमाने पर इसकी खेती हो रही है. अफीम की खेती में प्रतिबंधित नक्सली संगठनों का भी स्वार्थ है.

नक्सली अपने प्रभाव क्षेत्र में अफीम की खेती कराकर लेवी वसूलते हैं. इससे नक्सली संगठनों को प्रति वर्ष अच्छी खासी राशि लेवी के रूप में प्राप्त होती है. जीटी रोड पर डोभी थाने से लेकर बाराचट्‌टी के भलुआ तक दर्जनों लाइन होटल व ढाबा हैं. इस धंधे में स्थानीय लोग, तस्कर, नक्सली तथा पुलिस का भी एक नेटवर्क बताया जा रहा है.यही कारण है कि तमाम प्रयासों के बाद भी इस क्षेत्र से अफीम की खेती समाप्त नही हो पा रही है.

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