अभी पूरी पार्टी का ध्यान लोकसभा चुनाव पर है और ऐसे महत्वपूर्ण समय में इस तरह की बेतुकी बातें कहने का कोई मतलब नहीं है. यह तो शुक्र मनाइए सुशील मोदी का, जिन्होंने साफ़ कह दिया कि यह मामला जहां है, इसे वहीं रोक दिया जाए और कोई बयानबाजी न की जाए. अगर मोदी आगे नहीं आते, तो यह बात काफी आगे बढ़ जाती. 
giriraj-singhसवाल चूंकि दिल्ली की सत्ता का है, इसलिए बिहार में इस समय पाला बदल कर टिकट पाने की होड़ मची हुई है. जिसका जहां जुगाड़ फिट हो रहा है, वह फिट करने में तनिक भी समय बर्बाद नहीं कर रहा है, क्योंकि पता नहीं, कब कोई दूसरा उससे पहले मैदान मार ले. बड़े नेताओं की आमद इन दिनों भाजपा में ज़्यादा है. इसके बाद जदयू का नंबर आता है. राजद एवं लोजपा के ठिकाने भी जल्द ही गुलजार होने के आसार हैं. यहां यह बताते हुए आगे बढ़ें कि इस सियासी उलट-पुलट के पार्ट-2 की पटकथा भी सत्ता के गलियारे में साथ-साथ ही लिखी जा रही है. जैसे ही बड़ी पार्टियां अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा करेंगी, उसी समय इस सियासी भागमभाग का दूसरा अध्याय शुरू हो जाएगा, जो पार्ट वन से ज़्यादा दिलचस्प और चुनावी राजनीति को प्रभावित करने वाला होगा.
बिहार की राजनीति में इसके अलावा, पार्टी में रहकर ही दबाव बनाकर मनचाहा टिकट पाने की कवायद में भी कुछ नेता लगे हुए हैं. पहले बात सियासी भागमभाग की करते हैं. पाठकों को हम पहले ही बता चुके हैं कि बिहार में बड़े पैमाने पर नेता अपने दल को छोड़कर दूसरे दल में जाने की तैयारी कर रहे हैं. यह सिलसिला अब शुरू हो गया और तेजी पकड़ रहा है. बांका की सांसद पुतुल सिंह और सीवान के सांसद ओम प्रकाश यादव तो पहले ही भाजपा में आ चुके हैं. माना जा रहा है कि इन दोनों को अपनी सीट पर ही पार्टी का टिकट दे दिया जाएगा. टिकट पाने के लिए जो बड़े नाम भाजपा में आना चाहते हैं, उनमें खगड़िया से रणबीर यादव, पाटलिपुत्र से नवल यादव, मुंगेर से महाचंद्र सिंह, सासाराम से छेदी पासवान, औरंगाबाद से सुशील सिंह, गोपालगंज से पंचम लाल और महाराजगंज से तारकेश्‍वर सिंह शामिल हैं. वैसे भाजपा महाराजगंज से एक मजबूत भूमिहार नेता पर भी डोरे डाल रही है. देवेशचंद्र ठाकुर का भी जदयू से मोहभंग हो चुका है और बताया जा रहा है कि वह भी भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं.
शरद यादव के ख़िलाफ़ भाजपा सहरसा से एक मजबूत ब्राह्मण प्रत्याशी उतारने की कोशिश में जुटी हुई है. इसी क्रम में निशिकांत ठाकुर को पार्टी में लाया जा चुका है. पार्टी ने उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी से तालमेल का काम पूरा कर लिया है और तीन सीटों पर मजबूत उम्मीदवार उतारे जा रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा खुद चुनाव मैदान में उतर रहे हैं, ताकि पूरे बिहार के कुशवाहा वोटरों के बीच एक मजबूत संदेश पहुंच सके. इस तरह भाजपा की पूरी कोशिश यह है कि सूबे की सभी चालीस सीटों पर सोशल इंजीनियरिंग का अनूठा उदाहरण पेशकर दमदार प्रत्याशियों को मैदान में उतारा जाए, ताकि बेहतर चुनाव परिणाम सामने आएं और दिल्ली की सत्ता पर नरेंद्र मोदी को काबिज कराने में बिहार का अहम योगदान किया जा सके.
इसी तरह जदयू भी क्षतिपूर्ति के तौर पर कई नेताओं को शामिल कराने की जुगत कर रहा है. भाजपा के कुछ नेता उसके निशाने पर हैं, जिनमें दरभंगा के लिए विजय कुमार मिश्रा, मोतिहारी के लिए अवनीश सिंह और वैशाली के लिए राणा गंगेश्‍वर शामिल हैं. इसी तरह राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी को मधुबनी के लिए, सम्राट चौधरी को खगड़िया के लिए, अख्तारुल इमाम को किशनगंज के लिए पार्टी में लाने की कोशिश हो रही है. झंझारपुर सीट के लिए देवेंद्र यादव जदयू का दामन थाम सकते हैं. इस दिशा में बात काफी आगे भी बढ़ चुकी है. इसी तरह राजद के टिकट के लिए मंगनी लाल मंडल और पूर्णमासी राम जदयू का दामन छोड़ने के लिए तैयार बैठे हैं. आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद लोजपा के टिकट पर शिवहर या फिर सहरसा से चुनाव लड़ सकती हैं. पप्पू यादव राजद एवं कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों में टिकट के लिए संपर्क बनाए हुए हैं. लगता है, कांग्रेस में उनकी दाल गल जाएगी.
यह तो थी बात उनकी, जो किसी न किसी दल से टिकट लेकर चुनावी अखाड़े में उतरना चाहते हैं. अब हम बात करेंगे उन नेताओं की, जो अपनी ही पार्टी में दबाव बनाकर अपने लिए मनचाहा टिकट पाने की फिराक में लगे हुए हैं. इनमें पहला नाम गिरिराज सिंह का है. दरअसल, वह बेगूसराय से चुनाव लड़ना चाहते हैं, पर पार्टी उन्हें मुंगेर से चुनाव लड़ाना चाहती है. यह बात गिरिराज सिंह को पच नहीं रही है, इसलिए वह प्रदेश इकाई पर दबाव बना रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि इसी के तहत उन्होंने यह बयान दिया कि बिहार में मुख्यमंत्री के तौर पर शाहनवाज हुसैन को पेश किया जाए. गिरिराज सिंह के इस बयान की कड़ी आलोचना हुई. शाहनवाज हुसैन को मुख्यमंत्री मैटेरियल बताए जाने पर भड़के भाजपा नेताओं ने पूर्व मंत्री गिरिराज सिंह के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया. विधायक विक्रम कुंवर और प्रदेश महामंत्री सुधीर शर्मा ने उन्हें भ्रमित व्यक्ति बताते हुए उन पर हसुआ के विवाह में खुरपी का गीत गाने का आरोप लगाया. विक्रम कुंवर ने कहा कि भाजपा नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में लगी है और गिरिराज अलग ही राग अलाप रहे हैं. इससे पार्टी में भ्रम पैदा हो सकता है.
पार्टी महामंत्री सुधीर शर्मा ने कहा कि गिरिराज को अपनी सीमा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए. वह न तो पार्टी के घोषित प्रवक्ता हैं और न संसदीय बोर्ड के सदस्य. उनके ख़िलाफ़ प्रदेश अध्यक्ष को कार्रवाई करनी चाहिए. विक्रम कुंवर ने कहा कि इस तरह के बयानों से पार्टी को नुकसान पहुंचता है. अभी पूरी पार्टी का ध्यान लोकसभा चुनाव पर है और ऐसे महत्वपूर्ण समय में इस तरह की बेतुकी बातें कहने का कोई मतलब नहीं है. यह तो शुक्र मनाइए सुशील मोदी का, जिन्होंने साफ़ कह दिया कि यह मामला जहां है, इसे वहीं रोक दिया जाए और कोई बयानबाजी न की जाए. अगर मोदी आगे नहीं आते, तो यह बात काफी आगे बढ़ जाती.
इसी तरह अब्दुल बारी सिद्दीकी एवं सम्राट चौधरी भी लगातार अपने आलाकमान पर मधुबनी और खगड़िया सीट के लिए दबाव बनाए हुए हैं. इन सीटों से टिकट न मिलने पर वे किसी भी हद तक जा सकते हैं. इसी तरह की पीड़ा जदयू के रमई राम की है. वह तो खुलेआम हाजीपुर से चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं, जबकि वहां से मौजूदा सांसद रामसुंदर दास ने अभी तक चुनाव न लड़ने का ऐलान नहीं किया है. रमई राम डंके की चोट पर कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कान में मुझे हाजीपुर से तैयारी करने के लिए कहा है. मैं तो बस नीतीश कुमार के आदेश का पालन कर रहा हूं. इस तरह देखा जाए, तो हर दल से नेता जा रहे हैं और आ रहे हैं. टिकट पाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. जनता बस इसे देख रही है और मजे ले रही है.

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