AJIT-DOBHALचीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति के एजेंडे पर बहुत महत्वपूर्ण है. मोदी ने पिछले साल सितंबर में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मेजबानी की और अब फिर से वे मई में चीन यात्रा के लिए तैयारी कर रहे है. इस बीच उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल दिल्ली और बीजिंग की यात्रा लगातार कर रहे है. डोभाल वहां अन्य बातों के अलावा चीनी अधिकारियों से विवादास्पद सीमा मुद्दे पर बातचीत में व्यस्त है. अब, कथित तौर पर, खुफिया ब्यूरो (आईबी) ने डोभाल के पर्यवेक्षण के तहत सीधे एक नया और अलग चीन डेस्क बनाया है. इसे एक संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारी हेड करेन्गे. कईयों के लिए यह खबर किसी आश्‍चर्य के रूप में सामने आया क्योंकि अभी तक चीन के बारे में जानकारी एकत्र करने का काम आमतौर पर रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) करता रहा है. लेकिन मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से इस काम को शीर्ष प्राथमिकता पर रखा गया था. अब तक चीन को भारतीय खुफिया तंत्र में दूसरे देशों के साथ ही रखा गया था. कहा जा रहा है कि पूर्व आईबी प्रमुख एसए इब्राहिम ने यह विचार दिया था.

 

संजीव चतुर्वेदी की मुश्किलें

हरियाणा काडर के भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को अब तक विभिन्न सरकारों द्वारा इधर से उधर घुमाया गया है. हरियाणा में कांग्रेस सरकार द्वारा उन्हें कई बार परेशान किया गया. उसके बाद उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के मुख्य सतर्कता अधिकारी के पद से मोदी सरकार द्वारा हटाया गया. इससे एक राजनीतिक तूफान भी आया. अब लगता है कि इस अधिकारी को कोई ऐसा मिल गया है, जो वास्तव में उसे अपने साथ रखना चाहता है. खबर है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, संजीव चतुर्वेदी को दिल्ली की एंटी करप्शन ब्यूरो का मुखिया बनाना चाहते है. सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल ने पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिख कर चतुर्वेदी को उनके वर्तमान कर्तव्य से मुक्त कर के दिल्ली भेजने के लिए कहा है. लेकिन, पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह इतना आसान भी नहीं है. इसके लिए चतुर्वेदी को स्वास्थ्य मंत्रालय (अपनी पिछली पोस्टिंग) और केंद्रीय सतर्कता आयोग से क्लियरेंस लेनी होगी. बाबू के प्रति मोदी सरकार का जो रवैया है, उससे यह सब कहना जितना आसान लगता है, वास्तव में होना उतना ही मुश्किल है.

 

अखिलेश, व्हाट्स एप्प और भ्रष्ट बाबू 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के लिए एक आश्‍चर्यजनक हथियार है. यह व्हाट्स एप्प है. संदेश और वीडियो साझा करने के लिए एक लोकप्रिय सेलफोन एप्प. वार्षिक आईएएस वीक के अवसर पर अधिकारियों को संबोधित करते हुए यादव ने यह कह कर बाबुओं को चौंका दिया कि रिश्‍वत लेते हुए एक वरिष्ठ बाबू का वीडियो उनके पास है. लेकिन उन्होंने उस बाबू का नाम नहीं लिया. यादव ने कहा कि इस वीडियो को उन्होंने अपने व्हाट्स एप्प पर सुरक्षित रख लिया है और इसे राज्य के मुख्य सचिव आलोक रंजन को भी दिखाया गया था. यादव ने इस मुद्दे पर आगे तो कुछ नहीं कहा लेकिन स्पष्ट रूप से बाबुओं को परेशान छोड़ दिया. जाहिर है, यादव 2017 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए अपने प्रशासन में भ्रष्ट बाबुओं के खिलाफ कार्रवाई करते हुए दिखना चाहते है. अब, बाबू और बाबू मामलों को देखने वाले लोग, मुख्यमंत्री के कब्जे वाली वीडियो में दिख रहे कथित बाबू की पहचान सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं. यादव ने यह नहीं बताया है कि वे या उनके मुख्य सचिव ने दोषी के खिलाफ क्या कार्रवाई की है?

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