पुडुचेरी एक केंद्र शासित राज्य है. यह भारत का तीसरा सबसे घनी आबादी वाला क्षेत्र भी है. यहां का मुख्य उद्योग पर्यटन और मत्स्य पालन है. पुडुचेरी में हुए विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ एआईएनआरसी को पीछे छोड़ते हुए कांग्रेस-डीएमके गठबंधन ने बहुमत हासिल किया. इस केंद्र शासित प्रदेश की 30 सीटों में से कांग्रेस को 15 और उसकी सहयोगी डीएमके को दो सीटें मिली हैं. जबकि सत्तारूढ़ एआईएनआरसी को आठ, एडीएमके को चार सीटें मिली हैं और एक सीट निर्दलीय के नाम रही.
निवर्तमान मुख्यमंत्री एन रंगासामी के लिए यह बड़ा झटका है जो चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की कोशिश कर रहे थे. उनकी पार्टी एआईएनआरसी को महज आठ सीटें मिलीं. शुरू में सत्तारूढ़ एआईएनआरसी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर चल रही थी, लेकिन बाद में इस गठबंधन ने रंगासामी की पार्टी पर बढ़त बना ली. अकेले चुनाव लड़ने वाली एआईएडीएमके को यहां चार सीटें मिलीं. मुख्यमंत्री एन रंगासामी ने इंदिरा नगर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के उम्मीदवार वी अरुमुगम को 3,404 मतों के अंतर से पराजित किया. रंगासामी ने साल 2011 में कांग्रेस से अलग होकर एआईएनआरसी का गठन किया था. एआईएनआरसी, भाजपा और एडीएमके ने अकेले चुनाव लड़ा जबकि कांग्रेस और डीएमके ने गठबंधन किया था.
कांग्रेस ने 21 और द्रमुक ने शेष सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. हालांकि, रंगासामी की छवि मिस्टर ऑनेस्ट की रही है और तमाम योजनाओं को ज़मीन पर उतारने में इन्हें महारत हासिल है, बावजूद इसके वह दोबारा सत्ता पर काबिज नहीं हो पाए. साल 2011 के विधानसभा चुनाव में रंगास्वामी की ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस और जयललिता की एआईएडीएमके ने गठबंधन किया था. तब एआईएनआरसी को 15 और एआईएडीएमके को पांच सीटें हासिल हुई थीं. कांग्रेस को सात और डीएमके को दो सीटें मिली थीं और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुआ था.
इस बार के चुनाव में मुख्यमंत्री एवं एआईएनआरसी संस्थापक एन रंगासामी, विपक्ष के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री वी वैतिलिंगम (कांग्रेस), पीसीसी नेता ए नमाशिवायम और पुडुचेरी विधानसभा के अध्यक्ष वी सबापति समेत कई महत्वपूर्ण उम्मीदवार मैदान में थे. रंगासामी ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में कई मुफ्त वाली योजनाएं चलाईं. लेकिन वह सरकार चलाने के लिए जरूरी राजस्व नहीं जुटा पाए. इसे नाकामयाबी माना गया. रंगास्वामी पहले कांग्रेस में ही थे, इसके बाद उन्होेंने अलग पार्टी बनाई. कांग्रेस मतदाताओं को यह समझाने में कामयाब रही कि रंगास्वामी ने पार्टी तोड़कर गलत किया है.