मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर महाभियोग चलाए जाने के प्रस्ताव का नोटिस खारिज होने के खिलाफ कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. सोमवार को कांग्रेस के 2 राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा और अमी याग्निक ने इसे लेकर उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की. अपनी याचिका में इन दोनों ने कहा कि सांसदों की ओर से एक बार महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर होने के बाद उपराष्ट्रपति के पास कोई अन्य विकल्प नहीं रह जाता है. इसे लेकर इन दोनों सांसदों ने सभापति के फैसले पर सवाल उठाया है. इन्होंने यह भी कहा है कि सभापति को सीजेआई के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी गठित करना चाहिए था.

गौरतलब है कि राज्यसभा सभापति ने 23 अप्रैल को सात विपक्षी दलों के 71 सांसदों के हस्ताक्षर वाले महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को खारिज कर दिया था. प्रस्ताव का नोटिस खारिज होने के बाद भी कांग्रेस ने सवाल उठाया था. कपिल सिब्बल ने इस पर कहा था कि उपराष्ट्रपति का फैसला अवैध है और इस फैसले से जनता का भरोसा टूटा है. उन्होंने तभी कहा था कि हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे. सिब्बल ने अब कहा है कि नोटिस खारिज करने से संबधित अपील की अर्जेंट लिस्टिंग होनी चाहिए. यह मामला सीजेआई के खिलाफ है, इसलिए सबसे वरिष्ठ जज को लिस्टिंग का निर्देश देना चाहिए.

कांग्रेस ने मुख्य न्यायाधीश पर 5 आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ महाभियोग का नोटिस दिया था, जिसे उपराष्ट्रपति की तरफ से खारिज कर दिया गया. नोटिस खारिज करने से संबंधित अपने 10 पेज के फैसले में उपराष्ट्रपति ने इसके कई कारण बताए थे. उन्होंने कहा था कि नोटिस में चीफ जस्टिस पर लगाए गए आरोपों को मीडिया के सामने उजागर किया गया, जो संसदीय गरिमा के खिलाफ है. उन्होंने यह भी कहा था कि तमाम कानूनविदों से चर्चा के बाद उन्होंने पाया कि यह प्रस्ताव तर्कसंगत नहीं है. सभापति ने अंत में लिखा था कि सभी पांचो आरोपों पर गौर करने के बाद पाया गया कि ये सुप्रीम कोर्ट का अंदरूनी मसला है और ऐसे में महाभियोग के लिए ये आरोप स्वीकार नहीं किए जा सकते.

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