britaniaदक्षिण बिहार के सबसे बड़े व्यावसायिक केन्द्र गया में सेन्ट्रल बिहार चैम्बर ऑफ कॉमसर्र् ने दैनिक उपयोग के उत्पादों वाले बहुराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय कम्पनियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पिछले दो दशक से दैनिक उपयोग के उत्पादों एफएमसीजी के बहुराष्ट्रीय व राष्ट्रीय कम्पनियां मनमाने तरीके से गया में वितरकों को हटाने और रखने का काम करती रही हैं. हटाने व रखने के इस काम में कम्पनियां कोई कारण नहीं बताती हैं. इन कम्पनियों द्वारा सेल टैक्स की चोरी करने और टारगेट पूरा करने के लिए एक-दूसरे वितरकों के क्षेत्र में गलत तरीके से माल-आपूर्ति करने का काम भी वितरकों से कराया जाता है. जब मामला बहुत अधिक ब़ढने लगा, तो गया के व्यवसायियों ने एकजुट होकर अपने संगठन सेंट्रल बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स के तहत कम्पनियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. कारण यह था कि एक बिस्किट निर्माता प्रतिष्ठित कम्पनी ने विगत दस वर्षों में सात बार अपना वितरक बदला, जिसका खामियाजा हर बार वितरकों को ही भुगतना पड़ा. इस मामलों को लेकर गत 17 जनवरी 2016 को सेन्ट्रल बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स के तत्वाधान में दैनिक उपयोग के उत्पादों के वितरकों की महत्वपूर्ण बैठक चैम्बर के अध्यक्ष हरि प्रकाश केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई. इस बैठक में इस व्यापार से जुड़े व्यवसायियों की समस्याओं पर विचार-विमर्श तथा व्यवसायियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने का निर्णय लिया गया. इस बैठक में वितरकों ने बताया कि इनके व्यवसाय में अन्य व्यवसाय की तुलना में अधिक पूंजी लगाकर भी कम मुनाफा तथा असहनीय दबाव है. इस बैठक में कम्पनियों की मनमानी का विरोध करने तथा किसी भी वितरक को हटाने के पूर्व कम्पनियों को वाजिब कारण बताना होगा. व्यवसायियों ने बताया कि कम्पनियों की ओर से वितरकों पर बहुत दबाव होता है. कम्पनियां शत-प्रतिशत नगद माल देती हैं तथा उधार बेचने को विवश करती हैं. कम्पनियों के पास वितरकों के ब्लैंक चेक रहते हैंै, जिसका वे दुरूपयोग करती हैं. एक क्षेत्र के वितरक को दूसरे वितरकों के क्षेत्र में कम कीमत पर माल बेचने का दबाव डालती हैं तथा अस्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा को जन्म देती हैं और मौखिक
आश्वासनों पर काम करवा कर बाद में मुकर जाती हैं. बैठक में उपस्थित व्यवसायियों ने स्वीकार किया कि कम्पनियों के अधिकारी व्यवसायियों के बीच ताल-मेल और एकता का अभाव का फायदा उठाकर ऐसा करते हैं. औरंगाबाद तथा जहानाबाद जैसे छोटे बाजार में वितरकों का आपसी तालमेल है, जिससे वहां कम्पनियां गलत नहीं कर पाती हैं. चैम्बर की बैठक में सरकारी राजस्व को कम्पनियां कैसे क्षति पहुंचाती हैं, यह भी बताया गया. वितरक का काम हट जाने अथवा हॉकरों द्वारा दूसरे क्षेत्रों से अवैध माल लाकर बेचे जाने से सरकारी राजस्व को हानि पहुंचती है, जिसका दुष्परिणाम संबंधित वितरक को उठाना पड़ता है. इसलिए निर्णय लिया गया कि ऐसी परिस्थिति में चैम्बर के सहयोग से आयकर और बिक्री कर जैसे विभागों को वस्तुस्थिती से अवगत कराया जाएगा, जिससे इस तरह के गलत व्यापार पर रोक लग सके. इसके लिए दैनिक उपयोग के उत्पादों के वितरकों का एक संगठन बनाया गय, जिसके संयोजक चैम्बर के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनूप कुमार केडिया तथा सहसंयोजक चैम्बर के महासचिव गोवर्द्धन प्रसाद वर्णवाल को बनाया गया. इसमें यह भी निर्णय लिया गया कि अगर कोई कम्पनी किसी वितरक को बिना पर्याप्त कारण हटाना चाहेगी तो डिस्ट्रीब्यूट्रर्स एसोसिएसन इसका विरोध करेंगे. इस बैठक में मुख्य रूप से डाबर, नैस्ले, पारले, ब्रिटानियां, गोदरेज, हॉरलिक्स, आईटीसी, आरटीसी, डियूक, एवररेडी, आरबीआई, हिन्दुस्तान लिवर, जॉनसन एण्ड जॉनसन, पीडीलाईट, विस्कफॉर्म के वितरकों ने भाग लिया. दक्षिण बिहार के प्रमुख व्यवसायी केन्द्र गया में व्यवसायियों के एकजुट होने और सेन्ट्रल बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स की पहल से कम्पनियों के अधिकारियों में हड़कम्प मच गया है, क्योंकि वितरक कम्पनियों के द्वारा सेल टैक्स चोरी करने का जो हथकंडा अपना रहे हैं, उसका पोल खुलते जा रहा है.

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