केंद्र में भले ही कांग्रेस ने जीत का परचम लहरा दिया हो, लेकिन छत्तीसगढ़ में वह भाजपा का क़िला भेद पाने में नाकाम रही है. मुख्यमंत्री चाउर बाबा उर्फ रमन सिंह ने एक बार फिर अपनी रणनीति और नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवा लिया है. इस बार कांग्रेस को प्रदेश में एक से अधिक सीटों पर जीत की उम्मीद थी लेकिन आंकड़ा 10-1 से ऊपर नहीं जा पाया.
भाजपा के दिलीप सिंह जूदेव ने पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अजीत जोगी को उनके गृह जिले में ही पटखनी दे दी है. उन्होंने अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी को 12557 वोटों के अंतर से हरा दिया. हालांकि कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष चरणदास महंत ने कोरबा सीट से करुणा शुक्ला को हराकर पार्टी की लाज रख ली है. यहां भाजपा को पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी के इंडिया शाइनिंग और अटल बिहारी वाजपेयी की साख की बदौलत 10 सीटें मिली थीं. इस बार कांग्रेस को उम्मीद थी कि वह कुछ सीटें अपनी झोली में डाल लेगी, लेकिन रमन के विकास कार्यों व अच्छी छवि ने कांग्रेस के मसूबे पूरे नहीं होने दिए.
भाजपा ने सरगुजा, रायगढ़, जांजगीर, बिलासपुर, राजनांदगांव, दुर्ग, रायपुर, महासमुंद, बस्तर और कांकेर सीटों पर अपनी दबदबा बनाए रखा है.दुर्ग प्रदेश की ऐसी सीट थी जहां भाजपा से बर्खास्त सांसद ताराचंद साहू की वजह से त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति थी, लेकिन वह मुख्य मुक़ाबले में रह ही नहीं पाए. यहां भाजपा की सरोज पांडेय ने कांग्रेस के प्रदीप चौबे को हरा दिया. उधर राजधानी रायपुर में रमेश बैस ने लगातार छठवीं जीत दर्ज़ कर यह बता दिया कि रायपुर में भाजपा के पांव कितनी मज़बूती से गड़े हुए हंैं. महासमुंद सीट, जो परंपरागत रूप से कांगेस का गढ़ रही है, इस बार भाजपा के खाते में रही. पार्टी को यहां विद्याचरण शुक्ल को टिकट न देना महंगा पड़ा और भाजपा के चंदूलाल साहू ने कांग्रेस प्रत्याशी मोतीलाल साहू को 38 हजार वोटों से हरा दिया.
छत्तीसगढ़ के नतीजों से साफ है कि अजीत जोगी का कद केंद्रीय नेतृत्व के सामने अब काफी बौना हो जाएगा. ख़ासकर टिकट वितरण के समय दिल्ली में हुए कथित हंगामे के कारण अजीत जोगी जिन विवादों में घिरे थे अब उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.

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