सीबीआई में मची सिरफुटव्वल अब प्रधानमंत्री मोदी के करीब तक पहुंच गई है. सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मोदी सरकार के एक मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकर पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं. केंद्रीय जांच एजेंसी के दो शीर्ष अधिकारियों की लड़ाई के बाद कई तबादले हुए थे, जिनमें सीबीआई के डीआईजी मनीष कुमार सिन्हा का भी नाम था. अब मनीष कुमार सिन्हा ने अपने तबादले के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वे जो जांच कर रहे थे, उसमें कई ताकतवर लोगों के खिलाफ सबूत सामने आए थे, इसीलिए उनका तबादला किया गया.

याचिका में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के बेहद खास राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को भी कठघरे में खड़ा किया है. राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच का नेतृत्व कर रहे इस अधिकारी ने कहा है सीबीआई जांच जब एक निर्णायक बिंदु पर पहुंच गई थी, तब डोभाल की दखल के कारण विशेष निदेशक राकेश अस्थाना और डीएसपी देवेंद्र कुमार के मोबाइल फोन बतौर सबूत जब्त नहीं किए जा सके, जिससे जांच प्रभावित हुई. इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि अजीत डोभाल के मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद से नजदीकी रिश्ते हैं. गौरतलब है कि मनोज और सोमेश मोईन कुरैशी रिश्वत मामले में बिचौलिए थे.

खुद को भ्रष्टाचार के खिलाफ बताने वाली मोदी सरकार पर एक वरिष्ठ सीबीआई अफसर के आरोपों की झड़ी यही खत्म नहीं होती, उन्होंने एनएसए डोभाल के अलावा केंद्र सरकार के एक मंत्री और विधि सचिव पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि मोईन कुरैशी मामले में कोयला और खान राज्यमंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी को भी कुछ करोड़ रुपए दिए गए थे. मनीष कुमार सिन्हा ने यह भी कहा है कि विधि सचिव ने सतीश सना को संरक्षण का भरोसा दिलाया था.

इसके अलावा उन्होंने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत को बताया है कि उनके पास कुछ चौंकाने वाले दस्तावेज हैं, जिनपर तुरंत सुनवाई की ज़रूरत है. हालांकि मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने जल्द सुनवाई से तो इनकार किया, लेकिन डीआईजी मनीष कुमार सिन्हा को मंगलवार की सुनवाई में मौजूद रहने को कहा. कुल मिलाकर, दो अधिकारियों से शुरू हुई यह लड़ाई अब मोदी सरकार की साख का संकट बनती जा रही है.

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