dalit-protest-759राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा हाल में जारी की गई क्राइम इन इंडिया-2015 रिपोर्ट से एक बात फिर उभर कर सामने आई है कि भाजपा शासित राज्य दलित उत्पीड़न के मामले में देश के अन्य राज्यों से काफी आगे हैं. लगभग यही स्थिति वर्ष 2014 की भी थी. वर्तमान में भाजपा शासित राज्य गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, गोवा और हिमाचल प्रदेश हैं. इनके अलावा कुछ अन्य राज्य जैसे ओड़ीशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और बिहार हैं, जहां दलित उत्पीड़न के मामले राष्ट्रीय दर (प्रति एक लाख दलित आबादी पर) से ज्यादा हैं. भाजपा शासित राज्यों व अन्य राज्यों में दलितों पर उपरोक्त रिपोर्ट के अनुसार घटित अपराधों की स्थिति निम्न प्रकार है:-

दलितों पर 2015 में कुल घटित अपराध: इस वर्ष यह संख्या 45,003 है, जो 2014 में 47,064 से कम है, लेकिन 2013 की संख्या 39,408 से करीब 5,500 अधिक है. इसी प्रकार 2015 में प्रति एक लाख दलित आबादी पर घटित अपराध की राष्ट्रीय दर 22.3 है, जो 2014 में 23.4 से कम है, लेकिन 2013 की 19.6 से 2.7 अधिक है. इससे स्पष्ट है कि यद्यपि 2015 में कुल घटित अपराध में पिछले वर्ष की अपेक्षा कुछ कमी आई है, लेकिन यह 2013 की अपेक्षा काफी बढ़ा है. यह वृद्धि अधिकतर भाजपा शासित राज्यों में अपराध में बढ़ोतरी के कारण ही है.

दलितों पर वर्ष 2015 में घटित अपराधों में से उत्तर प्रदेश- 8,358, राजस्थान- 6,998, बिहार- 6,438,  आंध्र प्रदेश- 4,415, मध्य प्रदेश- 4,188, ओड़ीशा- 2,305, महाराष्ट्र- 1,816, तमिलनाडु- 1,782,गुजरात- 1,046, छत्तीसगढ़- 1,028 तथा झारखंड- 752 अपराध घटित हुए हैं. इसी प्रकार 22.3 की राष्ट्रीय दर के विपरीत राजस्थान-57.2, आंध्र प्रदेश- 52.3, गोवा- 51.1, बिहार- 38.9, मध्य प्रदेश- 36.9, ओड़ीशा- 32.1, छत्तीसगढ़- 31.4, तेलंगाना-30.9, गुजरात- 25.7, केरल- 24.7, उत्तर प्रदेश- 20.2 रही है. इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भाजपा शासित राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, गोवा तथा अन्य राज्य जैसे आंध्र प्रदेश, बिहार, ओड़ीशा, तेलंगाना, केरल, उत्तर प्रदेश में दलितों पर घटित अपराध की दर राष्ट्रीय दर से काफी अधिक है.

हत्या: 2015 में दलितों की हत्या के 707 अपराध हुए थे और राष्ट्रीय औसत 0.4 थी. इनमें से मध्य प्रदेश-80, राजस्थान- 71, बिहार- 78, महाराष्ट्र-42, ओड़ीशा-21, गुजरात-17, तमिलनाडु-48, तेलंगाना -17, हरियाणा-22, आंध्र प्रदेश-23 तथा उत्तर प्रदेश-204 थे. हत्या के अपराध की राष्ट्रीय औसत दर 0.4 थी, लेकिन भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश (0.7), राजस्थान (0.6), झारखंड (0.5), बिहार (0.5), उत्तर प्रदेश (0.5), हरियाणा (0.4) और गुजरात में (0.4) थी. इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भाजपा शासित राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान में दलित हत्याओं की दर राष्ट्रीय दर से काफी अधिक रही है.

बलात्कार: वर्ष 2015 में राष्ट्रीय स्तर पर दलित महिलाओं के साथ बलात्कार के कुल मामले 2,326 थे तथा राष्ट्रीय दर 1.2 था. इनमें से मध्य प्रदेश (460), उत्तर प्रदेश (444), राजस्थान (318), महाराष्ट्र (238), ओड़ीशा (129), हरियाणा (107), तेलंगाना (107), आंध्र प्रदेश (104), केरल (99), छत्तीसगढ़ (81), गुजरात (65),तमिलनाडु (43) और बिहार (42) में रहे. इसी प्रकार बलात्कार की राष्ट्रीय दर 1.2 थी, जबकि इसके मुकाबले मध्य प्रदेश (4.1), केरल (3.3), राजस्थान (2.6), छत्तीसगढ़ (2.5), हरियाणा (2.1), तेलंगाना (2.0), महाराष्ट्र (1.8), ओड़ीशा (1.8), गुजरात (1.6) और आंध्र प्रदेश (1.2) रही. इन आंकड़ों से भी स्पष्ट है कि दलित महिलाओं पर बलात्कार के मामले में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात में अपराध दर राष्ट्रीय दर से काफी अधिक रहे हैं.

दलित महिलाओं पर शील भंग के लिए हमला:  2015 में राष्ट्रीय स्तर पर इन मामलों में कुल 2,800 अपराध घटित हुए तथा राष्ट्रीय दर 1.4 रहे. इनमें से मध्य प्रदेश- 777, उत्तर प्रदेश-756, महाराष्ट्र- 353, आंध्र प्रदेश-153, ओड़ीशा-155, हरियाणा-109, राजस्थान-107, कर्नाटक-60 और गुजरात-51 थे. इस प्रकार के अपराध की राष्ट्रीय दर 1.4 थी, जबकि यह मध्य प्रदेश-6.9, महाराष्ट्र-2.7, हरियाणा-2.1, केरल-2.2, ओड़ीशा-2.2, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना- 1.8, उत्तर प्रदेश-1.8 रही. इन आंकड़ों से भी स्पष्ट है कि भाजपा शासित राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा में दलितों महिलाओं पर शीलभंग के लिए हमले के अपराध की दर राष्ट्रीय दर से काफी ऊंची रही है.

दलित महिलाओं का अपहरण: वर्ष 2015 में इस प्रकार के कुल 687 अपराध हुए तथा राष्ट्रीय दर 0.3 रही. इस प्रकृति के अपराध उत्तर प्रदेश-415, राजस्थान-62, मध्यप्रदेश-43, गुजरात-37, महाराष्ट्र-34, हरियाणा-29, ओड़ीशा-22 और आंध्र प्रदेश- 10 थे. इसकी राज्यवार दर उत्तर प्रदेश-1.0, गुजरात- 0.9, राजस्थान-0.5, मध्य प्रदेश-0.4, महाराष्ट्र और ओड़ीशा-0.3 रही. इस विश्‍लेेषण से भी स्पष्ट है कि इस अपराध में भी उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश की दर राष्ट्रीय दर से काफी ऊपर रही.

दलित महिलाओं का विवाह के लिए अपहरण: 2015 में पूरे देश में इस प्रकार के 455 प्रकरण हुए तथा राष्ट्रीय दर 0.2 रही. इनमें उत्तर प्रदेश-338, राजस्थान-28, गुजरात-20, मध्य प्रदेश-18, महाराष्ट्र-18 तथा मध्य प्रदेश-18 घटित हुए. इसकी राज्यवार दर उत्तर प्रदेश-0.8, गुजरात-0.5, मध्य प्रदेश और राजस्थान-0.2 रही. इससे स्पष्ट है कि इस अपराध में भी उत्तर प्रदेश के बाद राजस्थान, गुजरात और राजस्थान की दर राष्ट्रीय दर से ऊंची रही.

आगजनी:  2015 में आगजनी के कुल 179 मामले हुए तथा राष्ट्रीय दर 0.1 रही. इसमें से छत्तीसगढ़-43, उत्तर प्रदेश-30, मध्य प्रदेश-21, राजस्थान-21, तमिलनाडु-14, ओड़ीशा-15 तथा महाराष्ट्र-11 अपराध घटित हुए. ऊहीं छत्तीसगढ़-0.3, मध्य प्रदेश-0.2, राजस्थान-0.2, गुजरात- 0.2 की दर रही. इस से भी स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में आगजनी के अपराध की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही.

एससी/एसटी एक्ट के अपराध: इस एक्ट के अंतर्गत वर्ष 2005 में कुल 6,005 अपराध पंजीकृत हुए और राष्ट्रीय दर 3.0 रही. इनमें से मध्य प्रदेश-1, महाराष्ट्र-290, हिमाचल प्रदेश-74, गुजरात-190, हरियाणा-19, ओड़ीशा-1, राजस्थान-92 तथा तेलंगाना-358 पंजीकृत हुए. इस अपराध के अंतर्गत भाजपा शासित राज्यों में कम आंकड़ों का कारण इन राज्यों में इस अपराध का कम होना नहीं, बल्कि इस एक्ट का प्रयोग नहीं किया जाना है.

एससी/एसटी एक्ट का प्रयोग न किया जाना: उपरोक्त रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों से यह तथ्य उभर कर आया है कि लगभग सभी भाजपा शासित राज्यों में एससी/एसटी एक्ट का प्रयोग नहीं किया जा रहा है, जिस कारण दलितों पर अत्याचार के मामले सामान्य कानून के अंतर्गत दर्ज किए जाते हैं. इससे दलितों को अत्याचार के मामलों में न तो कोई मुआवजा मिलता है और न ही दोषियों को कड़ी सजा. इन राज्यों में 6,009 आईपीसी अपराध के मामलों में इस एक्ट का प्रयोग नहीं किया गया है. राज्यवार स्थिति यह है: आंध्र प्रदेश -2050, राजस्थान-1,040, छत्तीसगढ़-790, मध्य प्रदेश-638, ओड़ीशा-482, तेलंगाना-357, हरियाणा- 322, कर्नाटक-131. इन आंकड़ों के विश्‍लेेषण से स्पष्ट है कि भाजपा शासित राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा के अलावा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओड़ीशा और कर्नाटक में भी एससी/एसटी एक्ट का प्रयोग नहीं किया जा रहा है, जो दलितों के साथ बड़ा अन्याय और धोखा है.

अनुसूचित जनजातियों पर अत्याचार:  2015 में इस वर्ग पर 10,914 अपराध घटित हुए और अपराध की राष्ट्रीय दर 10.5 रही जो 2014 के कुल अपराध 11, 415 और राष्ट्रीय दर 11.0 से तो कुछ कम है, लेकिन 2013 के 6,793 अपराध और राष्ट्रीय दर 6.5 से काफी अधिक है. 2015 के कुल अपराध में से राजस्थान -3,207, मध्य प्रदेश-1,531, छत्तीसगढ़-1,518, ओड़ीशा-1,307, आंध्र प्रदेश-719, तेलंगाना-698, महाराष्ट्र-483, गुजरात-256 और झारखंड में 269 अपराध घटित हुए. इनकी राज्यवार दर राजस्थान-34.7, आंध्र प्रदेश-27.3, तेलंगाना-21.2, छत्तीसगढ़-19.4 और ओड़ीशा- 14.5 है जो राष्ट्रीय दर से काफी अधिक है.

उक्त रिपोर्ट के अनुसार 2015 में अनुसूचित जनजातियों पर इस वर्ष कुल 10,914 अपराध घटित हुए तथा अपराध की राष्ट्रीय दर 10.5 रही. इनमें से राजस्थान- 3,207, मध्य प्रदेश- 1,531, छत्तीसगढ़- 1,518, ओड़ीशा- 1,387, आंध्र प्रदेश- 719, तेलंगाना- 698 में अपराध घटित हुए. वहीं, केरल- 36.3, राजस्थान- 34.7, आंध्र प्रदेश- 27.3, तेलंगाना- 21.2, छत्तीसगढ़- 19.4, ओड़ीशा- 14.5, मध्य प्रदेश- 10.0 की दर रही. इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि केरल, ओड़ीशा, आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना को छोड़कर शेष भाजपा शासित राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़, और मध्य प्रदेश में अपराध की दर राष्ट्रीय दर से काफी ऊंची रही है.

हत्या:  2015 में अनुसूचित जनजाति के विरुद्ध हत्या के 144 अपराध घटित हुए जिनमें से मध्य प्रदेश- 50, राजस्थान- 22, ओड़ीशा- 14, गुजरात- 13, महाराष्ट्र- 11 घटित हुए. इससे भी स्पष्ट है कि इस वर्ग पर भाजपा शासित राज्यों में हत्या के अधिक अपराध हुए.

बलात्कार: उक्त अवधि में पूरे देश में अनुसूचित जनजातियों की महिलाओं पर बलात्कार के 952 अपराध घटित हुए और इसकी राष्ट्रीय दर 0.9 रही. इनमें से मध्य प्रदेश- 359, छत्तीसगढ़- 138, महाराष्ट्र- 99, ओड़ीशा- 94, राजस्थान- 80, केरल- 47, गुजरात और तेलंगाना- 44, तथा आंध्र प्रदेश- 21 में अपराध हुए. वहीं केरल- 9.7, मध्य प्रदेश- 2.3, छत्तीसगढ़- 1.8, तेलंगाना- 1.3, ओड़ीशा- 1.0, महाराष्ट्र- 0.9 की दर रही. इस विश्‍लेेषण से स्पष्ट है कि केरल को छोड़ कर शेष भाजपा शासित राज्यों में बलात्कार की दर राष्ट्रीय दर से काफी अधिक रही है.

महिलाओं पर शीलभंग के लिए हमले:  2015 में अनुसूचित जनजातियों पर इन मामलों में 818 अपराध घटित हुए तथा राष्ट्रीय दर 0.8 रही. इनमें से मध्य प्रदेश- 378, महाराष्ट्र- 146, छत्तीसगढ़- 86, ओड़ीशा- 65, तेलंगाना- 32 तथा आंध्र प्रदेश- 29 में अपराध घटित हुए. दर की दृष्टि से केरल- 3.9, मध्य प्रदेश- 2.5, महाराष्ट्र- 1.4, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश- 1.1, तेलंगाना- 1.0 की रही. इन आंकड़ों से भी स्पष्ट है कि केरल को छोड़ कर शेष सभी भाजपा शासित राज्यों में इस वर्ग पर सब से अधिक अपराध घटित हुए हैं.

एससी/एसटी एक्ट के अंतर्गत अपराध:  2015 में पूरे देश में अनुसूचित जनजाति पर अत्याचार के संबंध में इस एक्ट के अंतर्गत 6,275 अपराध पंजीकृत हुए. इनमें से राजस्थान- 1,409, मध्य प्रदेश- 1,358, ओड़ीशा- 691, महाराष्ट्र- 481, तेलंगाना और कर्नाटक- 386, छत्तीसगढ़- 373, आंध्र प्रदेश- 362 और गुजरात- 248, केरल- 165 घटित हुए. दर की दृष्टि से केरल- 34.0, राजस्थान- 15.3, आंध्र प्रदेश- 13.8, तेलंगाना- 11.7, मध्य प्रदेश- 8.9, ओड़ीशा- 7.2 की रही. इस विश्‍लेेषण से भी स्पष्ट है कि केरल को छोड़ कर भाजपा शासित राज्य इस अपराध में भी अन्य से आगे हैं.

एससी/एसटी एक्ट का लागू न किया जाना:   2015 के दौरान अनुसूचित जनजाति के विरुद्ध आईपीसी के 4203 मामले रहे हैं, जिनमें इस एक्ट का प्रयोग ही नहीं किया गया. इनमें से राजस्थान- 1,746, छत्तीसगढ़- 816, ओड़ीशा- 696, आंध्र प्रदेश- 352, तेलंगाना- 302 तथा मध्य प्रदेश- 171 में घटित हुए. दर की दृष्टि से राजस्थान- 18.9, आंध्र प्रदेश- 13.4, छत्तीसगढ़- 10.4, तेलंगाना- 9.2, ओड़ीशा- 7.3 रही. इन आंकड़ों से भी स्पष्ट है कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओड़ीशा को छोड़ कर शेष भाजपा शासित राज्यों में एससी/एसटी एक्ट को लागू न करने की दर काफी ऊंची है.

दलित उत्पीड़न के मामलों में न्यायालय से सज़ा की दर:  2015 में दलित उत्पीड़न के मामलों में न्यायालय द्वारा निस्तारण के अनुसार इस वर्ष में 17,012 मामले निस्तारित किए गए, जिनमें से केवल 4,702 मामलों में ही सजा हुई तथा 12,310 मामलों में आरोपी दोष मुक्त हो गए. इस प्रकार सजा होने की दर केवल 27.6 प्रतिशत रही. इसी प्रकार उक्त अवधि में न्यायालय द्वारा अनुसूचित जनजाति के 4,894 मामले निस्तारित किए गए जिनमें से केवल 1,349 मामलों में सजा हुई और 3,545 मामलों में आरोपी रिहा हो गए. इस मामले में भी सजा की दर केवल 27.6 ही रही. इन आंकड़ों से यह स्पष्ट हो जाता है कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति को उत्पीड़न के मामलों में न्याय दिलाने के लिए सरकारों की क्या प्रतिबद्धता है?

वर्ष 2015 में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति पर अत्याचार के मामलों के आंकड़ों के विश्‍लेेषण से यह स्पष्ट है कि भाजपा शासित राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा में इन वर्गों पर अत्याचार के मामले आंध्र प्रदेश, ओड़ीशा, तेलंगाना, कर्नाटक को छोड़ कर बहुत अधिक हैं. इन राज्यों में न तो एससी/एसटी एक्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है और न ही दोषियों को सजा दिलाने के लिए प्रभावी कार्रवाई की जा रही है. इन राज्यों में 2013 के मुकाबले में अत्याचार के मामलों में बहुत वृद्धि हुई है. यह भी सर्वविदित है कि सरकारी आंकड़ों में दिखाया गया अपराध वास्तविक आंकड़ों का एक छोटा हिस्सा होता है. कुल घटित अपराध तो इससे कहीं अधिक होते हैं. मोदी सरकार ने एकतरफ तो एससी/एसटी एक्ट में संशोधन करने का दिखावा किया है, दूसरी तरफ इस एक्ट को भाजपा शासित तथा कुछ अन्य राज्यों में लागू ही नहीं किया जा रहा है. गुजरात का दलित आक्रोश इसी की परिणति है. इन परिस्थितियों में दलितों को इस संबंध में गंभीरता से मनन करना चाहिए और दलित नेताओं और भाजपा शासित तथा अन्य राज्यों की सरकारों के विरुद्ध एससी/एसटी एक्ट को सख्ती से लागू करने के लिए जनांदोलन करना चाहिए.

(लेखक पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं)

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