OBAMA-1-(5)अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की तीन दिवसीय भारत यात्रा समाप्त हो गई. गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने पहले असैन्य परमाणु समझौते को अमलीजामा पहनाने की राह में पिछले छह सालों से आड़े आ रहे दो बड़े मुद्दों के गतिरोध को दूर कर लिया गया. इस मसले पर मोदी और बराक ओबामा के बीच आपसी सहमति बनी. अंतत: समझौता संपन्न हो गया. फिलहाल असैन्य परमाणु समझौता भारत-अमेरिका के बीच आपसी समझ का केंद्र बिंदु है, जिसके मुकाम पर पहुंचने पर दोनों देशों के बीच एक नया विश्‍वास पैदा हुआ है. इससे दोनों देशों के बीच नए आर्थिक अवसर भी तैयार हुए हैं, जिसकी एक झलक ओबामा की इस यात्रा के दौरान दिखाई भी दी. इससे भारत कोे आर्थिक विकास की राह पर ले जाने के लिए स्वच्छ ऊर्जा के विकल्प भी बढ़े हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले साल 2014 के सितंबर माह में हुई अमेरिका यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने असैन्य परमाणु समझौते को अमलीजामा पहनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की थी. इसके बाद इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए दोनों देशों के अधिकारियों के कॉन्टेक्ट ग्रुप का गठन किया था. इस कॉन्टेक्ट ग्रुुप के बीच तीन दौर की बातचीत हुई. हादसों की सूरत में परमाणु रिएक्टर की आपूर्ति करने वाले देश की ज़िम्मेदारी और परमाणु संयंत्रों के लिए अमेरिका एवं अन्य देशों द्वारा ईंधन पर नज़र रखने जैसे राह में रोड़ा बन रहे मुद्दों को सुलझा लिया गया. अमेरिका न्यूक्लियर मटेरियल को ट्रैक करने की अपनी मांग से पीछे हट गया है. भारत लगातार यह कहता रहा है कि उसकी यह मांग अवांछित दखलंदाज़ी है. अब भारत पूर्व की तरह आईएईए की निगरानी में रहेगा. मोदी और ओबामा के बीच दोनों मसलों पर सहमति बन गई कि परमाणु संयंत्र में दुर्घटना होने की दशा में उपकरण आपूर्ति करने वाली अमेरिकी कंपनी या कंपनियों की जवाबदेही को कम कर दिया जाए. इसके लिए भारत सरकार इंश्योरेंस पूल का गठन करेगी, जिसके तहत मुआवजे की राशि दी जाएगी. यानी अमेरिकी कंपनियों की जवाबदेही एक प्रकार से न के बराबर कर दी गई है. इस इश्योरेंस पूल के तहत कुल राशि 1500 करोड़ रुपये होगी. 750 करोड़ रुपये सार्वजनिक क्षेत्र की चार बड़ी इंश्योरेंस कंपनियां जुटाएंगी और बाकी के 750 करोड़ रुपये का भार भारत सरकार पर होगा. दुनिया में कई देश अपने यहां प्लांटों में कोई हादसा होने की स्थिति में मुआवजा देने के लिए ऐसे 26 इश्योरेंस पूल बना चुके हैं. दोनों देश वाणिज्यिक सहयोग की दिशा में अपने क़ानून के अनुरूप, अपने अंतरराष्ट्रीय क़ानूनी दायित्व और तकनीकी व वाणिज्यिक व्यवहारिकता के अनुसार आगे बढ़ रहे हैं. भारत को चरणबद्ध तरीके से न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप, मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम, ऑस्ट्रेलिया ग्रुप, वासेनार एग्रीमेंट जैसे चार ग्रुपों की सदस्यता दिलाने में अमेरिका ने समर्थन करने की घोषणा की है.
रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच अगले दस सालों के लिए नए डिफेंस फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हुए हैं. डिफेंस टेक्नोलॉजी और ट्रेड इनिशिएटिव (डीटीटीआई) के अंतर्गत चार रक्षा उपकरणों के निर्माण की दोनों देशों के बीच सहमति हुई है. दोनों देश मिलकर 4 डिफेंस प्रोजेक्ट बनाएंगे. इन प्रोजेक्टों में साझा सैन्य अभ्यास, समुद्री सुरक्षा, खुफिया जानकारियों का आदान-प्रदान और सैन्य अदला-बदली शामिल है. चार प्रोजेक्टों में नई पीढ़ी के रावेन यूएवी, सी 130 सैन्य परिवहन विमानों के लिए विशेषज्ञ किट्स, मोबाइल इलेक्ट्रिक हाइब्रिड पॉवर सोर्स, यूनीफॉर्म इंटीग्रेटेड प्रोटेक्शन इंसेम्बल इंक्रीमेंट-2 के संयुक्त विकास और उत्पादन की बात शामिल है. दोनों देश जेट इंजन प्रौद्योगिकी की डिजाइनिंग और विकास के साथ ही विमान वाहक प्रौद्योगिकी के विकास के लिए एक कार्य दल बनाने पर भी सहमत हुए हैं.
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ओबामा के बीच इस मुद्दे पर भी सहमति बनी है कि अमेरिका पर्यावरण और ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करेगा. अमेरिका ने ग़ैर पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्र में दो अरब डॉलर की मदद का ऐलान किया है. परमाणु ऊर्जा के अलावा दोनों देश क्लीन एनर्जी रिसर्च, डेवलपमेंट, मेन्युफेक्चरिंग और स्थापना के संबंध में भी एक-दूसरे का सहयोग करेंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत के 100 गीगा वाट सौर ऊर्जा कार्यक्रम में रुचि दिखाई है. वहीं मोदी ने अमेरिकी निवेशकों को भरोसा दिया कि निवेश से जुड़ी खामियों को जल्द से जल्द दूर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हर बड़े प्रोजेक्ट की निगरानी प्रधानमंत्री कार्यालय करेगा.
दोनों देशों के बीच आर्थिक मोर्चे पर बातचीत को आगे बढ़ाने पर सहमति बनी है. दोनों देशों में उच्चस्तरीय द्विपक्षीय निवेश संधि और टोटलाइजेशन एग्रीमेंट पर फिर से बात शुरू होगी. अमेरिका टोटलाइजेशन एग्रीमेंट पर दस्तखत करने के लिए राजी हो गया है. यदि बात बन जाती है, तो अमेरिका में काम करने वाले भारतीयों को सालाना 18 हज़ार करोड़ रुपये तक का रिफंड मिल सकेगा. दरअसल, यह वह रकम है, जो अमेरिका में काम करने वाले भारतीय सोशल सिक्योरिटी के नाम पर देते हैं, लेकिन वर्क वीजा ख़त्म होने पर उन्हें यह रकम वापस नहीं मिलती है. दूसरी तरफ़ अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि वह भारतीयों के लिए एच-1 बी वीजा नियमों को और आसान बनाएंगे.
अमेरिका ने भारत में चार अरब डॉलर के निवेश का ऐलान किया है. यह निवेश सामाजिक विकास के क्षेत्र में किया जाएगा. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में भी अमेरिका मदद करेगा. अमेरिकी ट्रेड एंड डेवलपमेंट एजेंसी ने इलाहाबाद, अजमेर और विशाखापट्टम में स्मार्ट सिटी बनाने के लिए समझौता किया है. कारोबारी रिश्तों के साथ-साथ दोनों नेताओं के बीच नज़दीकियां भी बढ़ी हैं. जल्द ही प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ओबामा तथा दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच बातचीत के लिए हॉटलाइन शुरू की जाएगी. ओबामा ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनका देश सुरक्षा परिषद में सुधार के पक्ष में है, जिसमें भारत को भी जगह मिलनी चाहिए. दुनिया भर के शांति मिशनों में भारत की अहम भूमिका रही है. दुनिया की चुनौतियों से निपटने के लिए उसे और व्यापक भूमिका निभानी चाहिए.


 

समझौते के मुख्य बिंदु

  • परमाणु समझौते पर दोनों देश आगे बढ़े.
  • भारत द्वारा प्रस्तुत दो प्रस्तावों पर सहमति बनी.
  • इंश्योरेंस पूल बनाया जाएगा, जिसमें देश की चार बड़ी बीमा कंपनियां शामिल होंगी.
  • न्यूक्लियर मटेरियल की ट्रैकिंग की शर्त से अमेरिका पीछे हटा.
  • संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सीट के लिए अमेरिका समर्थन करेगा.
  • मोदी और ओबामा तथा दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) के बीच हॉटलाइन शुरू होगी.
  • विज्ञान, तकनीक, इनोवेशन, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और स्किल्स के मसले पर दोनों देश सहयोग करेंगे.
  • आतंकवाद के मुद्दे पर दोनों देश मिलकर काम करेंगे.
  • डिजिटल इंडिया पर भारत का अमेरिका सहयोग करेगा.
  • डिफेंस ट्रेड और टेक्नोलॉजी इनिशिएटिव (डीटीटीआई) को डिफेंस पॉलिसी ग्रुप के तहत बढ़ाया जाएगा.
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