बेहतरीन खेल नीति का दम भरने वाली हरियाणा सरकार में राष्ट्रीय खिलाड़ियों की ऐसे अनदेखी होगी किसी ने सोचा भी नही होगा। रोहतक जिले के इंदरगढ़ गांव की रहने वाली राष्ट्रीय वुशु खिलाड़ी शिक्षा इन दिनों तंगी की हालत में मनरेगा में मजदूरी कर रहीं है। खुद की मनरेगा कॉपी न बनने के कारण शिक्षा माता-पिता की सहायता करवाती है और 2 रोटी के लिए संघर्ष कर रही है।

शिक्षा सुबह 6 बजे कंधों पर कस्सी लादकर माता-पिता के साथ मनरेगा में मजदूरी का काम करने जाती है और जी तोड़ मेहनत कर दो पैसों का इंतजाम करती है। लॉकडाउन के दौर में सब कुछ बंद है काम धंधे ठप है ऐसे में सरकार द्वारा शुरू की गई मनरेगा स्कीम के तहत मजदूरों का गुजारा हो रहा है। यही नहीं शिक्षा को जब मनरेगा में काम नही मिलता या मनरेगा का काम बंद हो जाता है तो खेत मे काम करती है। शिक्षा दूसरे मजदूरों की तरह ही खेत मे धान लगाने का काम करती है। इससे पहले भी माता-पिता ने दिहाड़ी मजदूरी कर बेटी को चैम्पियन बनाया और इस मुकाम तक पहुंचाया है। शिक्षा तीन बार ऑल इंडिया 9 बार राष्ट्रीय चौंपियन और 24 बार स्टेट में चैम्पियन रह चुकी है। शिक्षा वुशु में हरियाणा में गोल्ड मेडलिस्ट भी रह चुकी है ऐसे में सरकार द्वारा शिक्षा की कोई सहायता नहीं की गई है जिसके बाद लॉकडाउन में शिक्षा मनरेगा में काम करने पर मजबूर है।

दूसरी ओर राष्ट्रीय चैम्पियन की हालत पर माता-पिता का कहना है कि बेटी को इस मुकाम तक पहुंचाने में बड़ी मेहनत लगी। उन्होंने कहा कि बेटी को दिहाड़ी मजदूरी करके ही पढ़ाया लिखाया और खिलाड़ी बनाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि पेट भरने के लिए दिहाड़ी करनी पड़ती है जिसमें बेटी हाथ बटाती है। तो वहीं दूसरी ओर वुशु खिलाड़ी शिक्षा का कहना है कि मजबूरी में मजदूरी करनी पड़ती है।

 

 

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