जैसे-जैसे 25 नवंबर की तारीख नजदीक आती जा रही है. वैसे-वैसे शिवसेना की मंदिर निर्माण को लेकर सक्रियता परवान चढ़ती जा रही है. बता दें कि इसी कड़ी में शुक्रवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने केंद्र  की सत्ता पर काबिज नरेंद्र मोदी सरकार से एक बार फिर से मांग की है कि जल्द से जल्द राम मंदिर निर्माण के बाबत अध्यादेश लाए और तारीख भी बताए.

गौरतलब है कि 25 नवंबर को संतो के सभा की बैठक प्रस्तावित है. जिसमें शिवसेना दल के नेता भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने की तैयारी में है. इतना ही नहीं, शिवसेना ने अपने ‘मुखपत्र’ में भी राम मंदिर का निर्माण की मांग की है.

शिवसेना प्रमुख ने राम मंदिर को लेकर किए जा रहे सियासत के आरोपों को दरकिनार करते हुए कहा कि हम राम मंदिर के निर्माण की मांग अपनी सियासत को चमकाने के लिए नहीं बल्कि, मंदिर के निर्माण के बाबत कर रहे हैं.

इतना ही नहीं, शिवसेना प्रमुख ने केंद्र की सत्ता पर काबिज सरकार को ये भी याद दिलाया है कि उन्हें शिवसैनिकों के उस बलिदान को नही भुलना चहिए जो उन्होंने बाबर राज्य को धाराशायी करने के लिए दिया था.

साथ ही शिवसेना प्रमुख ने ये भी कहा कि अयोध्या किसी कि निजी भाग नहीं जहां पर हमें जाने के लिए किसी के इजाजत लेना पड़े. बल्कि ये हमारा अपना जगह है. उन्होंने ये भी कहा कि बड़े दु:ख की बात है कि आज की तारीख में अयोध्या में रामराज्य की जगह सुप्रीम कोर्ट का राज्य चल रहा है.

गौरतलब है राम मंदिर के निर्माण के बाबत 25 नवंबर को होने वाले संतों की प्रस्तावित बैठक को लेकर शिवसेना प्रमुख काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं, जिसको लेकर वो कई बार केंद्र सरकार पर निशान भी साध चुके हैं.

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