Shakir sheikh

बसपा से अपनी राजनीति शुरू करने वाला 14 वर्ष तक लगातार प्रधान रहने वाला और 2015 में अपनी पत्नी को समाजवादी पार्टी का सक्रिय सदस्य बनवाने वाला विकास दुबे कितना शातिर और खतरनाक अपराधी है इसकी कल्पना भी मुश्किल है। उसके द्वारा की गयी पुलिस कर्मियों की हत्या यद्यपि पुलिस विभाग के ही गद्दारों की मदद से की गयी और कैसे फरार हुआ इसके बारे में तो बहुत कुछ लिखा जा चुका है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण और रहस्यमयी ढंग से हुयी गिरफ्तारी मीडिया जगत को हजम हो जाये ये संभव नहीं बल्कि नामुमकिन है। सोचने वाली बात है कि कल तक हरियाणा के फरीदाबाद में दिखने वाले विकास दुबे जिसके बारे में कहा जा रहा था कि उसके पास केवल एक थैला है, जिसमें दो जोडी कपड़े और हवाई चप्पल पहने हुये है वो आखिर उज्जैन रातों-रात कैसे पहुंचा ?? किसने वाहन उपलब्ध कराया?? किसने पैसा उपलब्ध कराया?? यह गहन जांच का विषय है। दूसरा सबसे महत्वपूर्ण तो ये है कि जिसके साथियों को ढूड ढूँढ कर ढेर किया जा रहा हो सारे संबंधियों को सरविलांस पर लगाया गया हो ऐसा आदमी कितना भी दिलेर और निरंकुश हो उससे खाना भी नहीं खाया जा सकता। याद करिये कि इराक का तत्कालीन तानाशाह सददाम हुसैन जैसा दुस्साहसी भी बंकर में दुबकर बैठ गया था लेकिन विकास दुबे जिसके सिर पर मौत मडरा रही हो वो निश्चिंत होकर उजजैन के महाकाल मंदिर में दर्शन करने पहुंच गया और सबसे अहम बात कि इस कोरोना महामारी के दौर में जब मास्क लगाये किसी भी आदमी को उसके परिचित और मित्र भी नहीं पहचान पा रहे हैं लेकिन महाकाल के मंदिर का एक मामूली सा गार्ड मास्क पहने हुये विकास दुबे को कैसे तुरंत पहचान लेता है, गले नहीं उतर रही ये बात। अब यह बात तो तभी साफ हो पायेगी जब इसका नारकोटिकस टेस्ट किया जाये और साथ में उस गार्ड का भी, तो कुछ और रहस्यमयी बातें सामने आ सकती ही और ऐसा होना भी चाहिये ताकि विनय तिवारी जैसी तत्कालीन कानपुर पुलिस अधीक्षक अनंत देव जैसे लोगों के अलावा उन बड़ी हस्तियों के भी नाम सामने आना ही चाहिए जिनके सहारे यह इस स्थिति तक पहुंचा। अब ये तो जांच के बाद ही सामने आ पायेगा।

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