राजनीतिक दलों पर निगाह रखने वाले संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा नेशनल इलेक्शन वाच के साथ मिलकर किए गए एक आकलन से पता चला है कि भारत के करीब 81 फीसदी मुख्यमंत्री करोड़पति हैं, जबकि 35 फीसदी मुख्यमंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा चुनावों के दौरान मुख्यमंत्रियों द्वारा जमा किए गए हलफनामों के अध्ययन से यह निष्कर्ष निकाला गया है.
एडीआर की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के 31 मुख्यमंत्रियों में से 11 ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले होने की घोषणा की है. यह कुल संख्या का 35 फीसदी है. 26 फीसदी मुख्यमंत्रियों के खिलाफ हत्या, हत्या की कोशिश और धोखाधड़ी जैसे गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. देश के 25 मुख्यमंत्री करोड़पति हैं, जो कुल संख्या का 81 फीसदी है. देशभर के मुख्यमंत्रियों की औसत संपत्ति 16.18 करोड़ रुपए है. दो मुख्यमंत्रियों के पास 100 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति है.
एडीआर के इस आकलन के मुताबिक, आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू देश के सबसे अमीर सीएम हैं. नायडू की घोषित संपत्ति 177 करोड़ रुपए है. जबकि सबसे कम संपत्ति वाले मुख्यमंत्री त्रिपुरा के मणिक सरकार हैं. इनकी संपत्ति 27 लाख रुपए है.
पिछले वर्ष सितंबर में भी एडीआर की एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें देश के राजनीतिक दलों को अज्ञात स्त्रोतों से मिले चंदों का आकलन किया गया था. एडीआर ने अपनी इस रिपोर्ट में बताया था कि 2015-16 में भाजपा को अज्ञात स्त्रोतों से 461 करोड़ रुपए मिले, जो उसकी कुल आय का करीब 81 फीसदी है. वहीं, कांग्रेस को इस दौरान 186 करोड़ रुपए अज्ञात स्त्रोतों से मिले थे, जो उसके कुल आय का 71 फीसदी है. कुल मिलाकर 2015-16 में राजनीतिक दलों को 646.82 करोड़ रुपए चंदे के रूप में मिले.

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