केजरीवाल और उनके मंत्रियों के मंच पर आते ही रामलीला का यह ऐतिहासिक मैदान एक बार फिर केजरीवाल और पार्टी की जय-जयकार से गूंज उठा. केजरीवाल ने जनता को अपने भाषण से भी खुश किया. उनके भाषण में लोगों की रुचि इस बात से दिखी कि भाषण के दौरान इतनी भीड़ एकदम शांत हो उनके हर शब्द को ध्यान से सुन रही थी, और जब उन्होंने 5 साल दिल्ली में ही रहने की बात की तो पूरा रामलीला मैदान तालियों की आवाज़ से गूंज उठा.

PSN_32395 साल केजरीवाल, इस नारे से गूंजते रामलीला मैदान में दिल्ली के नए मुख्यमंत्री ने 14 फरवरी 2015 को, एक बार फिर पद एवं गोपनीयता की शपथ ली. प्रचंड बहुमत पाने वाले अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह को देखने मैं भी रामलीला मैदान पहुंची. अरविंद केजरीवाल ने पिछले साल भी अपनी पार्टी की अल्पमत की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री की शपथ के लिए रामलीला मैदान को ही चुना था. यह ऐतिहासिक रामलीला मैदान अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन की याद दिलाता है. हालांकि आंदोलन के समय और अब में बहुत फर्क है, लेकिन इस शपथ ग्रहण समारोह का माहौल आंदोलन वाला ही लग रहा था. वही देशभक्ति के गीत, लोगों के हाथों में वही लहराते राष्ट्रीय ध्वज, वही इंकलाब ज़िंदाबाद, भारत माता की जय के नारे, वही उम्मीद और वही उत्साह. कुछ फर्क था तो वो था इंतज़ाम का. लोगों के बैठने के लिए कुर्सियां, सुरक्षा के लिए 3000 पुलिसकर्मी और सीसीटीवी कैमरे, सजा हुआ मंच और वीआईपी एनक्लोजर भी. यह अलग बात है कि उस वीआईपी एनक्लोजर के अलावा पूरा रामलीला मैदान लोगों से खचाखच भरा हुआ था. रामलीला मैदान में मुफ्त में आम आदमी पार्टी कोला बंट रही थी, केजरीवाल के समर्थक अजब-गजब रूप में दिखाई दे रहे थे, 5 साल केजरीवाल के नारे के बीच कहीं-कहीं 50 साल केजरीवाल और केजरीवाल फॉर पीएम के नारे भी सुनाई प़ड रहे थे.
2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में महज़ दो साल पुरानी आप पार्टी ने दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज की और केंद्र में बहुमत से सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी को केवल तीन सीटें मिली. रामलीला मैदान में जनसैलाब इसी जीत का प्रतिबिंब लग रहा था. जनता के द्वारा दिलाई गयी जीत का जश्न जनता के साथ मनाने का फैसला पिछली बार की तरह लोगों को इस बार भी बहुत पसंद आया और यही शपथ ग्रहण में हज़ारों की संख्या में आकर लोगों ने साबित किया. इनमे सबसे बड़ा तबका गरीब झुग्गी-झोप़डी और रेहड़ी-पटरी वालों का था. अरविंद केजरीवाल द्वारा बार-बार कही बात कि, मैं नहीं आप सब मुख्यमंत्री बने हैं लोगों को छू गयी. मैदान में मौजूद ज़्यादातर सामाजिक और आर्थिक रूप से कमज़ोर लोग, जिन्होंने संभवतः आप को वोट दिया होगा, मुख्यमंत्री द्वारा अपने को मुख्यमंत्री कहलाये जाने पर गौरवांवित महसूस कर रहे थे. जनता के साथ इस तरह का इमोशनल कनेक्ट बना पाने में आप पूरी तरह सफल रही है. आप की सफलता का श्रेय सिर्फ रियायती बिजली,पानी और मुफ्त वाई फाई के वादों को नहीं दिया जा सकता. शपथ ग्रहण में आई हुई जनता में एक अलग तरह की भावनात्मकता महसूस हुई. आम आदमी पार्टी की सफलता ऐतिहासिक और अकल्पनीय चुनावी नतीजे तो दर्शाते हैं ही, लेकिन उससे ज़्यादा आप की सफलता पार्टी के प्रति लोगों के मन जगे उत्साह, उम्मीद और विश्‍वास से झलकती है. केजरीवाल के साधारण पहनावे और बोलचाल की भाषा से एक ब़डे वर्ग का जुड़ाव आम आदमी पार्टी के साथ हो गया है. इसी वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे लोअर मिडिल क्लास और मिडिल क्लास के लोग भी रामलीला मैदान में मौजूद थे. वह केजरीवाल की पार्टी के नाम में शामिल आम आदमी थे, जिनके चेहरों पर आप की जीत पर ख़ुशी ही ख़ुशी थी. सबसे दिलचस्प उच्च वर्ग की उपस्थिति थी. इनकी संख्या ज़रूर सबसे कम थी लेकिन दिल्ली के अमीर या संभ्रांतवादी वर्ग की इस तरह के राजनीतिक कार्यक्रम में मौजूदगी उल्लेखनीय है. वैलेंटाइन डे वाले दिन भी बड़ी संख्या में रामलीला मैदान आए नौजवान आम आदमी पार्टी के युवा वोटबैंक और युवाओं में राजनीति के प्रति बढ़ रही रूचि का प्रतीक थे. पूरा माहौल किसी त्यौहार जैसा था जिसमें शामिल हुए लोगों को जाति, धर्म और वर्ग के आधार पर पहचानना मुश्किल था. समारोह में आई भीड़ और उसका उत्साह अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के ऊपर आशाओं के बोझ का सूचक है.
राजनीतिक रैलियों में, खासकर अगर वो किसी बड़े नेता की हों, भीड़ आना आश्चर्य की बात नहीं है. आश्‍चर्य की बात ये है की इस शपथ ग्रहण समारोह में आये हज़ारों लोग वहां लाए नहीं गए थे, बल्कि ख़ुद अपनी इच्छा और अपने ही संसाधन से आए थे. आमतौर पर देखा गया है किसी भी बड़ी राजनीतिक रैली में लोगों को लाने-ले जाने के लिए बस, गाड़ी आदि का इंतेज़ाम किया जाता है. पर इस कार्यक्रम में ऐसा कोई इंतेज़ाम नहीं दिखा. यहां तक कि शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए बाहर के शहरों से आए पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों के लिए भी कोई इंतेजाम नहीं किए गए थे. आप की ट्रेडमार्क सफ़ेद टोपी पहने वहां केवल आप वोटर और समर्थक ही नहीं थे बल्कि वे लोग भी थे जो राजनीति में हुए इस सफल प्रयोग के असर को समझना चाहते थे. इसके अलावा कई ऐसे लोग भी थे जो भारत के अलग अलग शहरों से केवल राजनीति में ऐतिहासिक कहे जाने वाले इस शपथ ग्रहण के गवाह बनने आए थे.
केजरीवाल और उनके मंत्रियों के मंच पर आते ही रामलीला का यह ऐतिहासिक मैदान एक बार फिर केजरीवाल और पार्टी की जय-जयकार से गूंज उठा. केजरीवाल ने जनता को अपने भाषण से भी खुश किया. उनके भाषण में लोगों की रुचि इस बात से दिखी कि भाषण के दौरान इतनी भीड़ एकदम शांत हो उनके हर शब्द को ध्यान से सुन रही थी, और जब उन्होंने 5 साल दिल्ली में ही रहने की बात की तो पूरा रामलीला मैदान तालियों की आवाज़ से गूंज उठा. उनके भाषण में इस तरह के बहुमत के साथ आयी जिम्मेदारी और अहंकार की संभावना का भी जिक्र था. पिछले साल की तरह इस साल भी उन्होंने भाषण का अंत गाने से किया.
जो उम्मीद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने लोगों में जगाई है, वही उम्मीदें रामलीला मैदान में मौजूद जनता के उत्साह में झलक रहीं थी. इस प्रचंड बहुमत से बनी सरकार के ऊपर बहुत लोगों की भावनाओं को ठेस न पहुंचाने की ब़डी ज़िम्मेदारी है.

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