ARVIND_KEJRIWAL_OATH_TAKINGक्या 27 फरवरी को सेवानिवृत्त हो रहे दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव डीएम सपोलिया को नई सरकार उनका कार्यकाल समाप्त होने तक बनाए रखेगी? यह दिल्ली में नौकरशाहों द्वारा पूछे जा रहे सवालों में से एक है. हालांकि, उन्हें अरविंद केजरीवाल के बतौर मुख्यमंत्री वापस आने पर बड़े प्रशासनिक फेरबदल की आशंका है. नौकरशाहों को वह बात याद है कि पिछली बार जब केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे, तब उन्होंने सपोलिया को मुख्य सचिव के पद से हटा दिया था, जिनकी कुछ महीने बाद पद पर वापसी हो गई थी. अब आप और केजरीवाल की दिल्ली की गद्दी पर वापसी हो गई है. नौकरशाही पर नज़र रखने वालों को अंदेशा है कि नई सरकार सरकारी कामकाज पूरा करने में अपनी मदद के लिए चुनिंदा अफसरों का चुनाव करेगी. पिछली बार केजरीवाल ने सपोलिया की जगह दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के उपाध्यक्ष एसके श्रीवास्तव को मुख्य सचिव नियुक्त किया था. केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद सबसे पहले उन्हें ही पद से हटाया गया था. इस वजह से उनकी वापसी की संभावना सबसे प्रबल है. इसी तरह जिन अधिकारियों पर केजरीवाल को विश्‍वास है, उनकी वापसी की संभावनाएं प्रबल हैं.

 

धीमी चाल

केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्त के रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए सेवानिवृत्त बाबुओं के बीच काफी हड़कंप मचा हुआ है. कथित तौर पर इन दो हाई प्रोफाइल पदों के लिए एक सौ से अधिक सेवानिवृत्त अधिकारियों ने आवेदन किया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गहनता से निगरानी किए जाने की वजह से चयन प्रक्रिया और दुष्कर हो गई है. इसलिए मोदी सरकार अवांछित विवादों से बचने के लिए सावधानी से काम कर रही है. इस तरह के विवादों का सामना यूपीए सरकार को अपने कार्यकाल के दौरान करना पड़ा था. सूत्रों के अनुसार, इस पद की दौड़ में देवेंद्र सिकरी, पूर्व पर्यटन सचिव परवेज दीवान, पंकज जैन, एएस लांबा, पूर्व जहाजरानी सचिव विश्‍वपति त्रिवेदी और पूर्व पेट्रोलियम सचिव जीसी चतुर्वेदी जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं. सीवीसी के पद की दौड़ तब और रोचक हो गई, जब सतर्कता आयुक्त राजीव ने इसके लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी. इनमें से कौन मुख्य सतर्कता आयुक्त बनता है, यह देखने की बात है. सुप्रीम कोर्ट 23 फरवरी को सुनवाई के बाद कह सकता है कि जिन लोगों के पास पूर्व में इस तरह का कार्य करने का अनुभव हो, उन्हें वरीयता दी जाए. इससे कई हाई प्रोफाइल आवेदकों की दावेदारी ख़तरे में पड़ जाएगी. सरकार इस मामले में बहुत संभल कर क़दम उठा रही है और देरी के बावजूद पारदर्शिता सुनिश्‍चित करने की कोशिश कर रही है.

 

बजट पर जोर

वित्त मंत्री अरुण जेटली और बजट तैयार करने में जुटे अधिकारी माह के अंत तक बजट को अंतिम रूप देने के लिए बड़ी मेहनत से लगे हुए हैं. यह बजट मोदी सरकार का पहला पूर्ण बजट होने के साथ-साथ हाल के समय का सबसे प्रत्याशित बजट है. इसलिए टीम जेटली के कुछ चुनिंदा अधिकारियों, जैसे वित्त सचिव महिर्षी, वाणिज्य सचिव शक्तिकांत दास, एक्सपेंडिचर सेक्रेटरी रतन वटाल के पास देने के लिए बहुत कुछ है. उनके सामने प्रमुख आर्थिक लक्ष्यों से समझौता किए बगैर सार्वजनिक निवेश के लिए पैसा जुटाकर अर्थव्यवस्था का कायाकल्प करने जैसा बड़ा दायित्व हैै. जाहिर है, इस कार्य की गंभीरता की वजह से ही प्रधानमंत्री कार्यालय सही बजट सुनिश्‍चित करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता है. जिस तरह वित्त मंत्री और उनकी टीम काम में लगी हुई है, उसी तरह नरेंद्र मोदी के प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्रा समानांतर तरीके से बजट निर्माण में लगे हुए हैं. वह स्वतंत्र रूप से आर्थिक विशेषज्ञों से बजट निर्माण के संबंध में राय ले रहे हैं.

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