15वीं लोकसभा का सत्र समाप्त हो चुका है. लोकसभा के पांच वर्षों के दौरान सांसदों ने जिस तरह से घोटाले किए, देश को लूटा, उससे लगता है कि इन सांसदों ने एक-दूसरे को बेशर्म और खुली लूट को चुनौती दे रखी थी. इन सांसदों ने दोनों हाथों से देश को लूटा. इस तरह 15वीं लोकसभा बन गई घोटालासभा.
aaगांधी जी ने ठीक ही कहा था कि पूरी प्रकृति के पास इतने अधिक संसाधन हैं कि वह प्रत्येक मनुष्य का पेट भर सकती है, लेकिन वह संसाधन इतना भी नहीं है कि किसी एक लालची का पेट भरा जा सके. सच है कि लुटेरों या भ्रष्टों को पूरी पृथ्वी भी दे दी जाए, तो कम पड़ेगी. कम से कम 15वीं लोकसभा के दौरान सांसदों ने जिस तरह से देश को लूटा, जिस तरह विभिन्न घोटालों में उनके नाम सामने आए, उससे यही पता चलता है कि स्वार्थ में अंधा शख्स किसी भी हद तक गिर सकता है. मीडिया के माध्यम से देश के कुछ नामी-गिरामी सांसदों के नाम विभिन्न घोटालों में सामने आए. इनमें प्रमुख नाम हैं-प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, शरद पवार, सलमान खुर्शीद, लालू यादव, जगदीश शर्मा, रशीद मसूद, पवन बंसल, सुरेश कलमाड़ी, दयानिधि मारन, ए राजा, कनिमोझी और सुप्रिया सुले. इन घोटालेबाज सांसदों की फेहरिस्त यहीं समाप्त नहीं होती, बल्कि यह काफी लंबी है, जिसमें सत्ता पक्ष के सांसद ही नहीं, बल्कि विपक्ष और अन्य राज्यों के सांसद भी सम्मिलित हैं. हम कुछ ऐसे ही सांसदों की जानकारी आपके सामने रख रहे हैं, जिन पर घोटाले का आरोप लगने से देश शर्मसार हुआ.
मनमोहन सिंह और सुबोधकांत सहाय
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह असम से राज्यसभा सांसद और सुबोधकांत सहाय रांची से लोकसभा सांसद हैं. सुबोधकांत सहाय का नाम प्रमुखता से कोयला घोटाले से जुड़ा. सरकार पर आरोप है कि उसने कोयला ब्लॉक का आवंटन गलत तरीके से किया. उस समय सुबोध कोयला मंत्री थे. इस घोटाले की खास बात यह रही कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भी अपने मातहतों को बचाने का आरोप लगा. सीएजी की फाइनल रिपोर्ट के मुताबिक, इस घोटाले के कारण सरकारी खजाने को एक लाख 86 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. जिन लोगों के नाम कोयला ब्लॉक आवंटन की गड़बड़ी में सामने आए, उनमें केंद्रीय पर्यटन मंत्री सुबोधकांत सहाय, भाजपा के राज्यसभा सांसद अजय संचेती, कांग्रेस नेता विजय दर्डा एवं राजेंद्र दर्डा, आरजेडी नेता एवं पूर्व कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्री प्रेमचंद गुप्ता और कांग्रेस सांसद एवं जिंदल स्टील एंड पॉवर के चेयरमैन नवीन जिंदल प्रमुख हैं. इसी दौरान यह बात सामने आई कि क़ानून मंत्री अश्‍विनी कुमार ने सीबीआई को कोयला घोटाले की जांच रिपोर्ट में कुछ बदलाव करने को कहा है.
ए राजा
ए राजा तमिलनाडु के नीलगिरी से सांसद हैं. आरोप है कि 2008 में ए राजा ने दूरसंचार मंत्री रहते हुए स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस देने की प्रक्रिया में नियमों में हेर-फेर करके कुछ कंपनियों को फ़ायदा पहुंचाया. 1,76,000 करोड़ रुपये के इस घोटाले में साजिश, धोखाधड़ी, नकली दस्तावेज पेश करने के साथ ही पद के दुरुपयोग और गलत काम के लिए उकसाने के आरोप लगाए गए. प्रधानमंत्री को भी इस मामले में देर से जागने के लिए कई बार फटकार लग चुकी है. द्रमुक अध्यक्ष करुणानिधि की पुत्री एवं राज्यसभा सांसद कनिमोझी का भी नाम दूरसंचार घोटाले से जुड़ा. कनिमोझी पर आरोप है कि वह ए राजा की सबसे बड़ी राजदार हैं.
शरद पवार और सुप्रिया सुले
केंद्रीय मंत्री शरद पवार माधा से और उनकी पुत्री सुप्रिया सुले बारामती से लोकसभा सांसद हैं. भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी से वकील बने वाई पी सिंह ने केंद्रीय मंत्री शरद पवार और उनके रिश्तेदारों पर आरोप लगाया था कि उन्होेंने विवादित लवासा हिल सिटी परियोजना के लिए एक निजी डेवलपर को कथित तौर पर अनुचित फ़ायदा पहुंचाया. लवासा को महज 23,000 रुपये के मासिक किराये पर जमीन आवंटित की गई. वाई पी सिंह की ओर से जारी बयानों के मुताबिक, शरद पवार की बेटी एवं बारामती से लोकसभा सदस्य सुप्रिया सुले के पास कंपनी के 20.81 फ़ीसद शेयर थे. सिंह ने दावा किया कि 2006 में सुले ने अपने सारे शेयर लवासा कॉरपोरेशन को बेच दिए.
सलमान खुर्शीद
सलमान खुर्शीद फर्रुखाबाद से लोकसभा सांसद हैं. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट सलमान खुर्शीद के दादा और पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के नाम पर है. सलमान की पत्नी लुईस खुर्शीद इस ट्रस्ट की कार्यकारी अधिकारी हैं. कुछ महीने पहले ही
आरोप लगा था कि ट्रस्ट ने सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के विकलांगों के लिए जारी 71 लाख रुपये का गबन किया है. हालांकि लुईस इन आरोपों को खारिज करती हैं.
मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से लोकसभा सांसद हैं. उत्तर प्रदेश खाद्यान्न घोटाला 2002 से 2010 के बीच हुआ. उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे. यह घोटाला लगभग 3500 करोड़ रुपये का था. आरोप है कि पीडीएस के तहत जो खाद्यान्न ग़रीबों में वितरित किया जाना था, उसे खुले बाज़ार में बेच दिया गया. आरोप तो यहां तक है कि इन खाद्यान्नों को बांग्लादेश और नेपाल में बेचने के लिए भेजा जाता था. इस क्रम में बड़े पैमाने पर खाद्यान्नों को सुरक्षाबलों ने सीज भी किया था. सबसे पहले यह घोटाला 2003 में सामने आया.
पवन बंसल
चंडीगढ़ से लोकसभा सांसद एवं पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री पवन बंसल का नाम घूस कांड से जुड़ा. आरोप है कि पवन बंसल के भांजे विजय सिंगला ने ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए रिश्‍वत ली. विपक्ष और जनता के बढ़ते दबाव के बीच रेल मंत्री पवन बंसल को इन आरोपों के कारण अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा. बंसल को 10 करोड़ रुपये के रेल घूस कांड मामले में अभियोजन पक्ष का गवाह नामित किया गया है. 3 मई, 2013 को सीबीआई ने रेल मंत्री के भांजे विजय सिंगला को 90 लाख रुपये घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार किया. महेश कुमार पर सिंगला को प्रमोशन के लिए घूस देने का आरोप है. आरोप है कि प्रमोशन के लिए 10 करोड़ रुपये की रकम तय की गई थी. महेश कुमार ने एडवांस के तौर पर सिंगला को 90 लाख रुपये एक कुरियर के माध्यम से भेजे.
लालू यादव और जगदीश शर्मा
राजद अध्यक्ष लालू यादव सारण और जदयू नेता जगदीश शर्मा जहानाबाद से लोकसभा सांसद रह चुके हैं. लालू प्रसाद यादव और जदयू नेता जगदीश शर्मा को चारा घोटाला मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद लोकसभा से अयोग्य ठहरा दिया गया है. चुनाव आयोग के नए नियमों के अनुसार, लालू प्रसाद अब 11 साल तक लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. जगदीश शर्मा को भी 10 साल के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया है. चारा घोटाले को पशुपालन घोटाला भी कहते हैं. यह स्वतंत्र भारत के बिहार राज्य का सबसे बड़ा घोटाला था, जिसमें पशुओं को खिलाए जाने वाले चारे के नाम पर 950 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके निकाल लिए गए. हालांकि यह घोटाला 1996 में हुआ था.
सुरेश कलमाड़ी
सुरेश कलमाड़ी पुणे से लोकसभा सांसद हैं. 70,000 करोड़ रुपये के कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले (2011) में उनका नाम सामने आया. यह भारत के सबसे बड़े घोटालों में से एक माना जाता है. आरोप है कि नई दिल्ली में आयोजित 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन के दौरान पैसों की बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई. उस समय सुरेश कलमाड़ी दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजन समिति के अध्यक्ष थे.
दयानिधि मारन
डीएमके सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन चेन्नई सेंट्रल से लोकसभा सांसद हैं. चेन्नई में पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन के आवास तक 300 से ज़्यादा हाईस्पीड टेलीफोन लाइनों के आवंटन और इन लाइनों द्वारा मारन के भाई के चैनल सन टीवी को लाभ पहुंचाने का आरोप है. मारन पर यह भी आरोप है कि जब वह दूरसंचार मंत्री थे, तब उन्होंने एयरसेल की कई सर्किलों के लिए लाइसेंस देने का ़फैसला लटका रखा था. मारन इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज करते रहे हैं.

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