मै राष्ट्र सेवा दल की तरफ से बुरहान वानी कि हत्या के बाद भारत का अबतक का सबसे बडे बंद की स्थिति का निरिक्षण करने के लिए 1 अक्तूबर से 13 अक्टूबर तक जम्मू और कश्मीर के दौरेपर गया था और ऊसी कडिमे महाराजा हरिसिंह मेडिकल कॉलेज के वॉर्ड नम्बर 9 में दो घंटे से ज्यादा समय पेलेट गन से जख्मी लोगों से मुलाकात की है वह नजारा मेरे आँखो के सामने आज भी आया तो मेरि नींद,चैन गायब हो जाती है !
पेलेट गन का शोध इस्रइल ने किया है और यह गन इस्रइल फिलिस्तीन के लोगों के खिलाफ इस्तेमाल करता है ! और उसके बाद भारत में और वह भी कश्मीर में ! इससे जख्मी लोगों में 80 साल के बूढ़े से लेकर 15-16 साल के बच्चो को मैने वॉर्ड नम्बर 9 में देखे हैं !

और हमारे रक्षा मंत्री कह रहे थे कि कश्मिर मे इस गन का इस्तेमाल नहीं होता है ! 11 अक्तूबर 2016 को मै जब उस वॉर्ड में था तो मेरे सामने एक 15-16 साल का बच्चा पेलेट गन से जख्मी होकर आया था ! मैने पूछा कि तुम क्या कर रहे थे तो उसने बताया कि अपने दोस्त के साथ स्कूटी की पिछ्ली सिट पर बैठकर मछली पकड़ने के लिए दोनो जा रहे थे और अचानक हमारे बगलसे एक सिक्यूरिटीज के लिए हेवी ट्रक पास हो रहा था और उसमें लगी हुई जलियो के एक छोटी सी खिडकी जिससे बंदूक की नली रखी थी उससे हमारे ऊपर फायरिंग हुई और मैं अभि कुछ समय पहले ही जख्मी हो कर यहाँ पर भर्ती होने आया हूँ ! उसका स्कूटी चलनेवाले भाईने हेल्मेट पहना हुआ था इसलिए वह बच गया !


और यह पेलेट गन से हजारों लोग जो आज बहुसंख्य युवक हैं जिन्हे अभि जीवन के और 40-50 साल का जीवन जीना है ! यह कश्मीर के अत्याचार के चलते फिरते प्रमाण हैं ! और इन्हे देखने वाले मा बाप और अन्य कश्मीरीके दिलो पर क्या गुजरता होगा ! इसकी कल्पना कर के मेरे शरिरपर रौंगटे खड़े होते हैं और मै आजसे 10 साल पहले गाझा मे एक सप्ताह रहकर इसी तरह के दृष्य देखकर आया हूँ ! और तब से बगैर नींद की गोली खाये मै सो नहीं सकता और कल रात को इस दृष्य को देखकर दो गोलिया खाकर सोया था और अभि दोपहर के 12 बजे उठकर यह पोस्ट लिखने बैठा हूँ !

सुशांत राजपुत और कंगना राणावत को लेकर पुरा मिडिया 24/7 घंटा लगा हुआ है लेकिन 5 लाख किसानोकी आत्म हत्या,कोरोनामे हझारो मजदूरों का विस्थापन और उसमे उनके हाल और आये दिन महिला अत्याचार और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को खास लक्ष करके मार डालना और देश की अर्थव्यवस्था,शिक्षा निति,आरोग्य व्यव्स्था लगभग समाप्ति की तरफ जा रही है ! और सबसे संगीन बात हमारे सभी सार्वजनीक उद्दोग,बैंको को औनेपौने दामौमे प्रायवेट mastaroko बेचनेका गोरख धंदे कि बातोको उजागर करना यह हमारे देश के मीडिया की नज़रों के सामने नहीं है !

भीमा कोरेगाव और दिल्ली के फरवरी के अंतिम सप्ताह में किये गये दंगेके असली गुनहगारों को छोडकर जिनका इन दंगोको रोकने का प्रयास रहा है उन्हिको झूठी केसेस में फसाकर जेलोमे डालना यह हमारे मिडिया के लिए खबरे नहीं है ! उल्टा सरकार की हा मे हा मिलाना शायद ही कोई दुनियाँ में और देश का मीडिया होगा जो इस तरह सरकार का भाट का काम कर रहा हो !
जर्मनी में हिटलर का डॉ गोबेल्स नामके एक प्रचार मंत्री थे उन्होने एक तंत्र विकसित किया था कि एक बात भले वह झूठ ही क्यो ना हो उसे बार बार कहने से लोगों को सच लगने लगती है ! बिल्कुल गत छ साल से भारत के बहुसंख्य मिडिया फिर वह प्रिंट हो या इलेक्ट्रानिक सबोने डॉ गोबेल्स को भी मात दे दी है ! क्योंकि आजसे 100 साल पहले इलेक्ट्रानिक मीडिया नहीं के बराबर था रेडियो छोडकर ! लेकिन उसके बावजूद हिटलर अपने मन मुताबिक जर्मन के लोगों को बरगलानेमे  कामयाब हुआ था जो चित्र आज हुबहू भारत में नजर आ रहा है ! मै आपात काल के खिलाफ लड़ाई का एक सैनिक रहा हूँ ! लेकिन अभि ना ही कोई आपात्काल है और नाही सेंसरशिप लेकिन मुझे यह स्तिथी उससे भी बदतर लगती है ! और सबसे ज्यादा हैरानी की बात यह संघ परिवार के लोगों भी तो उस समय हमारे साथ में थे ! तो क्या ये लोग बगैर आपात्काल लगाये देश को कैसे कब्जेमे किया जा सकता इस ट्रेनिंग के लिए तो नहीं थे ? क्योकिं उस समय भी इनका चाल और चारित्र काफी विवादस्पद रहा है जैसे हमारे देश के आजादी के आंदोलन के बारे में इनके चारित्र पर काफी विवाद चल रहा है और अब मुझे इनके जेपी आन्दोलन,जनलोकपाल जैसे आन्दोलन के बारे में काफी कुछ साफ हो गया है !

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इनको भारत की जनता मे अपनी पैठ जमाने हेतू दोनो आन्दोलनोंमें शामिल होने के कारण आज यह दिन देख6ने पड रहे हैं !
नई आर्थिक नीतियों के खिलाफ पहला मोर्चा रामलीला मैदान से बोट क्लब जाने के समय हमारे देश के शिक्षाविद मित्र और मै साथ साथ चलते चलते बात हो रही थी और उन्होने मुझसे कहा कि सुरेश सन्घके अर्थिक नीतियों के विषेशग्य डॉ गुरुमुर्ती की विनती है कि हमारी भी नई आर्थिकनितिके खिलाफ भूमिका है क्या हम सब मिलकर यह लडाई करे तो कैसा रहेगा और यह बात मैं सबसे पहले आपसे कर रहा हूँ क्योकिं आप इस लडाई के प्रमुख साथीयो मे से एक हो और मेरे दोस्त हो ! तो मैंने कहा कि मैं जेपी आन्दोलन का एक अनुभव देखने वाले लोगों मे से एक हूँ और उसमे संघ परिवार के लोगों बहुत ही नजदीकी से देखकर कहता हूँ कि अब भविष्य में संघ परिवार के लोगों के साथ किसी भी प्रकार का और किसी भी मुद्दों पर कोई आन्दोलन या मिलजुल कर काम करने की गलती मै तोभी नहीं करूँगा और यह विरोध जॉर्ज फर्नांडीज जब बिजेपिके पिछलग्गु बने थे तो इसी शिक्षाविद मित्र के उपस्थिति में मेरी काफी समय की चर्चा के वह साक्षी भी है !और जो भी कोई करता होगा उस्केभी खिलाफ रहूँगा ! यह कहकर मैने चर्चा को विराम दिया !

डॉ सुरेश खैरनार,नागपुर 8 सितम्बर,2020

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