म. प्र. शासन द्वारा गलत तरीके से केरोना के मरीजों के नाम पर  चिरायु अस्पताल के मालिक अजय गोयनका (जो व्यापम कांड के आरोपी है )को करोड़ों रूपये का भुगतान किया जा रहा है जबकि भोपाल मे कई बड़े सरकारी अस्पताल मौजूद है, इस सम्बन्ध मे उच्च न्यायलय सामाजिक कार्यकर्त्ता भुवनेश्वर मिश्रा ने रिट पिटीशन दायर की है

Writ Petition NP 8092/2020 Bhuwmeshwar mishra vs MP STATE GOVT   SUBJECT regarding civisd 19 patentints in CHIRAYU bhopal

याचिका के प्रमुख आधार

   कोविड 19 के मरीजों के भर्ती उपचार का सेंटर चिरायु मेडिकल कॉलेज भैंसा खेड़ी भोपाल तथा बंसल अस्पताल शाहपुरा भोपाल को बनाया गया है यह पूरी तरह विधि विरुद्ध है जबकि भोपाल में लगभग 100 स्तरों वाला हमीदिया अस्पताल जहां प्रशिक्षित कई डॉक्टर मौजूद हैं शासन द्वारा हमीदिया अस्पताल के चिकित्सको करोड़ों रुपयों का प्रतिमाह वेतन दिया जाता है,  हमीदिया अस्पताल मे वर्तमान में कोविड 19 महामारी के मरीज़ो का यहां इलाज नहीं करवाया जा रहा इसी प्रकार भोपाल में ही स्थि एम्स  अस्पताल है ये भी करीब 50 से अधिक बेड वाला व्यवस्थित अस्पताल है यहाँ भी केरोना बीमारी का इलाज पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है,  भोपाल में ही भोपाल मेमोरियल अस्पताल भी है यहां पर लगभग 80 स्तरों वाला क्षमता युक्त व्यवस्थित अस्पताल है इन सभी शासकीय अस्पतालों में शासन द्वारा करोड़ों रुपए का स्पेशलिस्ट चिकित्सकों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को वेतन भी दिया जाता है 

भयंकर महामारी में विधिवत तौर पर इन शासकीय अस्पताल का इस्तेमाल शासन द्वारा जानबूझकर नहीं किया जा रहा अपितु मध्यप्रदेश शासन द्वारा को भी कोविड 19 की महामारी में सक्रमित व्यक्तियों के उपचार के लिए भोपाल मे बैरागढ़ स्थित चिरायु अस्पताल व अस्पताल शाहपुरा भोपाल को अधिकृत किया गया है|

चिरायु अस्पताल भैंसा खेड़ी बैरागढ़ भोपाल बड़े तालाब भोपाल की लाइफ लाइन फुल टैंक भूमि पर विधि विरुद्ध बना है| इस अस्पताल को विधि विरुद्ध तरीके से भोपाल के बड़े तालाब के फुल टैंक वाटर एरिया की लगभग 30 एकड़ जमीन को लीज पर प्रदान किया गया था जो विवादों का केंद्र भी है जिस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व चिरायु अस्पताल के मालिक अजय गोयंका के विरुद्ध सीजेएम कोर्ट द्वारा अपराध दर्ज करने (FIR )के आदेश भी दिए गए थे|

यह तथ्य पूरी तरह प्रमाणित करते हैं कि चिरायु अस्पताल के मालिक अजय गोयंका मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घनिष्ठता है और नियम विरुद्ध तरीके से अस्पताल को सुविधाएं प्रदान की जा रही है समाचार पत्रों के माध्यम से यह भी ज्ञात हुआ है कि अस्पताल में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन लगभग ₹5400 का खर्चा शासन द्वारा अस्पताल को अदा किया जाता है यह सर्व विदित है कि 19 महामारी का अभी तक कोई इलाज व्यवस्थित रूप से नहीं बनाया गया है इन अस्पतालों में पॉजिटिव आने वाले मरीजों को 15 दिवस या कम दिन भर्ती रखकर केवल protein-calorie आदि की सस्ती दवाइयां दी जाती है साधारण प्रकृति का खाना दिया जाता है जिसका अधिकतम व्यक्ति प्रतिदिन ₹500 से अधिक का खर्चा नहीं आता परंतु मध्यप्रदेश शासन द्वारा ₹5400 का प्रति व्यक्ति के रूप में इन अस्पतालों को दिया जाना गंभीर भ्रष्टाचार अपराध को प्रकट करता है जबकि भोपाल में सरकार के 3 बड़े बड़े अस्पताल स्थित है जहां पर समुचित तरीके से कोविड 19 के मरीजों का उपचार किया जा सकता है परंतु ज्यादा भ्रष्टाचार करने के आशय से  प्राइवेट अस्पतालों को सेंटर बनाया गया है भोपाल में ही लगभग 50 से अधिक निजी अस्पताल भी मौजूद है परंतु शासन द्वारा बिना किसी नीतिगत फैसले के बिना किसी मापदंड के चिरायु अस्पताल बंसल अस्पताल को ही कोविड 19 के मरीजों को भर्ती करने की सेंटर बनाया गया है,  इन दोनों निजी अस्पताल को मध्यप्रदेश शासन द्वारा रियायती दर पर भूमि मेडिकल कॉलेज अस्पताल गरीब असहाय लोगों की मदद करने इलाज करने के आशय से कम दरों पर  लीज पर  दी गई है  ऐसी स्थिति में  यह दोनों अस्पताल प्रबंधन अपराधिक सांठगांठ  भ्रष्टाचार कार्य कर  शासन से  संक्रमित व्यक्तियों के सामान इलाज  का खर्चा प्रतिदिन ₹5400  वसूल कर रहे हैं  अपितु  निजी व्यक्तियों से  इलाज के नाम पर भारी-भरकम लाखों रुपयों की राशि भी  ली जा रही है  जिसे रोका जाना आवश्यक है,  चुकी इन दोनों निजी अस्पताल को  शासन से रियायती दर  पर भूमि लीज़ पर प्राप्त की गयी है व शासन से अनुदान भी लेते है,  इस कारण केरोना मरीज़ो के उपचार का खर्चा शासन ये या निजी व्यक्तिओ से नहीं लिया जाना चाहिए,  केरोना महामारी पीड़ितों का इलाज निशुल्क या कम दरों पर किया जाना चाहिए,  क्योंकि मध्यप्रदेश शासन द्वारा  इन अस्पताल  प्रबंधन को कैराना संक्रमित व्यक्ति के उपचार के रूप में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति ₹5400 अदा किए जा रहे हैं यह राखी आम जनता से विभिन्न करों के रूप में ली गई राशि ही है जनता का अहित हो रहा है

इस रिट पिटीशन के माध्यम  से उच्च न्यायालय से मांग की गयी है की चिरायु अस्पताल एवं बंसल अस्पताल को मध्यप्रदेश शासन द्वारा कोबिट 19 महामारी के दौरान मध्यप्रदेश शासन द्वारा अब तक किया गया संपूर्ण भुगतान की निष्पक्ष किसी बड़ी जांच एजेंसी से स्वतंत्र  जांच कराई जाए भ्रष्टाचार कार्य करने वाले व दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध एफ आई आर दर्ज की जाए तथा कोबिट 19 महामारी के मरीजों का उपचार भोपाल स्थित शासकीय अस्पतालों में ही किए जाने की व्यवस्था करें|

Adv from Sponsors