यूनाइटेड अकाली दल ने कहा : मजीठिया ख़ानदान और भाजपा के भ्रष्ट गठजोड़ से बर्बाद हो गया पंजाब कब राज करेगा खालसा!

akali-dalपंजाब में विधानसभा चुनाव सिर पर है. भारतीय जनता पार्टी और अकाली दल की साझा सरकार के खिलाफ माहौल गहरा रहा है. लोगों का मानना है कि इस शासनकाल में पंजाब का आर्थिक और सामाजिक ग्राफ काफी नीचे गिरा है. किसानों की आत्महत्याएं हो रही हैं और खेती-किसानी का मूल काम बाधित हुआ है. नशे के कारण पंजाब का युवा बर्बाद हुआ है और पंजाब की छवि को भी काफी नुकसान पहुंचा है. जनता में राजनीतिक विकल्प की छटपटाहट बढ़ती जा रही है. ऐसे में यूनाइटेड अकाली दल एक बार फिर खम ठोक कर मैदान में आ डटा है. दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी भी प्रभावकारी मौजूदगी के साथ मैदान में है. पिछले साल पंजाब में सरबत खालसा का आयोजन कर यूनाइटेड अकाली दल सुर्खियों में आ चुका है. सरबत खालसा में देश-दुनिया के तकरीबन पांच लाख लोगों को जुटाने में यूनाइटेड अकाली दल कामयाब हुआ था. सत्ताधारी दल यह आरोप लगाता है कि यूनाइटेड अकाली दल खालिस्तान का समर्थन करता है. जबकि यूनाइटेड अकाली दल के प्रमुख भाई मोहकम सिंह कहते हैं कि यूनाइटेड अकाली दल एक धार्मिक और राजनीतिक आंदोलन है. हमने 1989 के लोकसभा चुनाव में जीत भी हासिल की थी. बाद में हमारी दो धाराएं बन गईं. एक सिमरनजीत सिंह मान के साथ और एक हमारा यूनाइटेड अकाली दल. हम और हमारा दल शुरू से देश के हित में लड़ता रहा है. हम 1947 में लड़े. फौज में गए. शहादतें दीं. हमने देश का पेट भरा. लेकिन दुख की बात है कि सिख कौम को लोग बदनाम करते हैं.

यूनाइटेड अकाली दल के प्रमुख भाई मोहकम सिंह, महासचिव भाई गुरदीप सिंह बठिंडा और यूएडी के अमृतसर प्रमुख भाई परमजीत सिंह जजिआनी से पिछले दिनों मचौथी दुनियाफ ने पंजाब के हालात पर विस्तार से बातचीत की. इस बातचीत में देश के बंटवारे के बाद से लेकर अबतक सिखों के साथ हो रहे दोयम दर्जे के शासनिक सलूक से लेकर मौजूदा राजनीतिक हालात और जनता की अपेक्षाओं के मसले शामिल हैं. यूनाइटेड अकाली दल के प्रधान भाई मोहकम सिंह बताते हैं कि देश की आजादी के नाम पर बृहत्तर पंजाब को काटा गया. पंजाब का अधिकांश हिस्सा पाकिस्तान को चला गया और जो हिस्सा बचा उसे भी दो हिस्सों में तोड़ दिया गया. लाहौर से अपनी जमीन जायदाद छोड़ कर आए सिखों से कहा गया था कि उतनी ही जमीन भारत में दी जाएगी, लेकिन सिखों को अंगूठा दिखा दिया गया. अपना घर-बार छोड़ कर, अपने सगे-संबंधियों की कुर्बानियां देकर जो सिख आए थे उन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में बिखर जाने को विवश होना पड़ा. भारतवर्ष में सिख समुदाय सबसे अल्पसंख्यक कौम है, लेकिन इस कौम को सरकारों ने कोई तरजीह नहीं दी. यहां तक कि पंजाब को अपनी राजधानी तक नहीं दी गई. पंजाब का पानी तक काट-काट कर दूसरे राज्यों को दे दिया गया. सिखों ने मुगलों के खिलाफ अपनी शहादतें दीं. सिखों ने आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ कर शहादतें दीं. सिखों ने 1984 के बेमानी दंगों में अपनी कुर्बानियांं दीं. लेकिन सिख समुदाय को इन कुर्बानियों के बदले क्या मिला? दंगे का शिकार हुए लोगों को आज तक मुआवजा भी नहीं मिला. मुआवजे के नाम पर सौ रुपये और सत्तर रुपये का चेक भीख की तरह थमा दिया गया. सिखों के लिए सिख कौम के तथाकथित लीडरानों ने कुछ नहीं किया. पंजाब में गलत लीडरशीप ही आज सबसे बड़ी समस्या है.

यह पूछने पर कि पंजाब में सिखों की सरकार है. मुख्यमंत्री से लेकर उप मुख्यमंत्री और तमाम मंत्री सिख हैं. उनका प्रदेश के लिए क्या योगदान रहा है? इस पर भाई मोहकम सिंह कहते हैं कि पंजाब की सत्ता पर आज बादल परिवार और मजीठिया परिवार काबिज है. बादल और मजीठिया परिवार और रिश्तेदारों का ही पंजाब पर एकाधिपत्य है. सब मिल कर ट्रांसपोर्ट, मीडिया, रेत बजरी जिस पर निगाह जा रही है उस पर कब्जा किए जा रहे हैं. बादल और मजीठिया लॉबी ही सरकार चला रही है और भाजपा उसे आंख बंद कर सपोर्ट कर रही है. इसी लॉबी ने पंजाब को बर्बाद कर दिया. पूरे पंजाब को नशे की गर्त में धकेल दिया. बादल और मजीठिया व्यापार करने वाली कौमें हैं. देश के लिए दी गई शहादतों में इस कौम का कोई योगदान नहीं है. इसे केवल पैसा दिखता है. सब जानते हैं कि पंजाब में नशे का सिंडिकेट कौन लोग चला रहे हैं, लेकिन पंजाब सरकार ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, क्योंकि वे सब रिश्तेदार हैं. भाजपा धृतराष्ट्र की भूमिका में है, जिसकी वजह से पूरा पंजाब भ्रष्टाचार का रणक्षेत्र बन गया है. उनका मकसद अपनी ठगी, लूट और नशे के कारोबार को बचाना है. भाई मोहकम सिंह कहते हैं कि इस सत्ता-लोलुप लॉबी को तोड़ना और उसे पंजाब से उखाड़ फेंकना पंजाब की सेहत के लिए जरूरी हो गया है. हम लोग इसे तोड़ रहे हैं और पंजाब के लोग हमारा साथ दे रहे हैं. पंजाब की जनता हमारे साथ है, सरबत खालसा की अभूतपूर्व कामयाबी से हम यह साबित कर चुके हैं. इससे घबरा कर ही सत्ताधारी दोनों दल साठगांठ करके यूनाइटेड अकाली दल को कभी खालिस्तान समर्थक तो कभी खाड़कू कह कर बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. इन लोगों ने पूंजी के बूते अपनी ताकत बना ली है. मीडिया पर इनका कब्जा है. ये लोग मीडिया के जरिए भ्रांति पैदा करके हम पर इल्जाम लगाते हैं. लेकिन तकलीफों और भारी कर्जों में फंसी पंजाब की जनता सब समझती है और इसका पता चुनाव में चलेगा. यूनाइटेड अकाली दल अखंड भारत का हामी है और भारतीय संविधान के तहत अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए संघर्षरत है.

यूनाइटेड अकाली दल के चुनाव लड़ने के बारे में पूछने पर भाई मोहकम सिंह कहते हैं, मयूनाइटेड अकाली दल खुद में एक ताकत है. हम पंजाब में चुनाव लड़ेंगे.फ पंजाब के राजनीतिक परिदृश्य में यूनाइटेड अकाली दल की स्थिति के बारे में भाई मोहकम सिह कहते हैं कि आज पंजाब में अकाली दल, भाजपा और कांग्रेस पिट रही है. अब इन पार्टियों के विदा होने का समय आ गया है. इनकी विदाई का मतलब है कि किसी के आने का भी समय आ गया है. आज पंजाब में सुधरी हुई कांग्रेस, यानी, आम आदमी पार्टी और सुधरा हुआ अकाली दल, यानी, यूनाइटेड अकाली दल आगे आ रहा है. हम चाहते हैं कि पंजाब हिन्दू-सिख एकता के साथ खुशहाली के रास्ते पर आगे बढ़े.

क्या यूनाइटेड अकाली दल आम आदमी पार्टी के साथ मिल कर चुनाव लड़ेगा? इस सवाल पर दल प्रमुख कहते हैं कि पंजाब में नए राजनीतिक विकल्प के लिए लहर चल रही है. आम आदमी पार्टी का अपना दावा है. पर हमारे पास बहुत सारे अच्छे लोग हैं. हम नीतीश कुमार की पार्टी के साथ मिल कर लड़ेंगे. हम पंजाब की सभी 117 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. हम छोटे दलों के साथ मिल कर, किसान संगठनों के साथ मिल कर चुनाव लड़ेंगे. पंजाब में मौजूदा दौर में राजनीतिक दलों की क्या स्थिति है? इस सवाल पर भाई मोहकम सिंह फिर कहते हैं कि एक तरफ बादल परिवार है तो दूसरी तरफ मजीठिया परिवार, पिता मुख्यमंत्री बना बैठा है तो बेटा उप मुख्यमंत्री, यही अकाली दल है, यह बादल अकाली दल है. भाजपा का पंजाब में कोई अस्तित्व नहीं है. बिना बादल अकाली दल के भाजपा का कोई मतलब नहीं है पंजाब में. कांग्रेस की स्थिति तो पंजाब में बिल्कुल ही खराब है. कांग्रेस को अब पंजाब से पूरी तरह मिट ही जाना है. अब आम आदमी पार्टी आई है. इसकी मौजूदगी ठीकठाक हो रही है. यूनाइटेड अकाली दल के बारे में मोहकम सिंह कहते हैं कि कांग्रेस, शिरोमणि (बादल) अकाली दल और भाजपा को छोड़कर सभी पार्टियों को मिला कर एक महागठबंधन बनाए जाने का प्रयास है. पंजाब में फैली शासकीय अराजकता को खत्म करने के लिए महागठबंधन जरूरी है. मोहकम सिंह ने कहा कि पंजाब में जंगल राज है. इस हालत के लिए भाजपा, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल जिम्मेदार है. यह सब बादल और कैप्टन की मिलीभगत का परिणाम है. इससे उबरने और प्रदेश में ठोस राजनीतिक बदलाव लाने के लिए अन्य पंथक दलों और प्रदेश के किसान, मजदूर, हिंदू, दलित, अल्पसंख्यकों के अलावा राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के बीच भी एकता मजबूत करने का प्रयास ठोस शक्ल ले रहा है.

यूनाइटेड अकाली दल के महासचिव (सेक्रेटरी जनरल) गुरदीप सिंह बठिंडा कहते हैं, मराष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा की सोच देश को बांटने वाली है. हमारी पार्टी का विचार है कि पंजाब में प्रकाश सिंह बादल संघ के साथ मिल कर पैसा कमाने में जुटे हैं. पंजाब में इमर्जेंसी से ज्यादा हालत खराब है. यूनाइटेड अकाली दल बादल की गुंडागर्दी का विरोध कर रहा है. बादल और भाजपा वाले हमें खालिस्तानी बताते हैं. हम बादल का विरोध करते हैं तो वे हमें देश विरोधी कहने लगते हैं.फ बठिंडा का मानना है कि पंजाब में कांग्रेस एक तरह से आत्महत्या ही कर चुकी है. कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बादल पर पांच हजार करोड़ लूटने का आरोप लगाया लेकिन जब सत्ता में आए तो सारा केस ही खत्म कर दिया. इसी तरह का काम बादल ने भी सत्ता में आने के बाद किया. ये सब एक ही थैली के चट्टेे-बट्टे हैं. सरबत खालसा के आयोजन के प्रसंग में यूनाइटेड अकाली दल पर खालिस्तानी होने के जो आरोप लगे और कहा गया कि वहां जरनैल सिंह भिंडरांवाला के समर्थन में जोरदार नारेबाजी हुई, उस पर गुरदीप सिंह बठिंडा कहते हैं, मदेखिए ऐसी कोई बात नहीं थी. सरबत खालसा में कम से कम पांच लाख लोग जुटे थे. वहां कई सारे मुद्दे उठे थे. सिखों के कत्ल के, बलात्कार के, उत्पीड़न के. अब कांग्रेस इंदिरा गांधी को संत मानती है, उन्हें शहीद मानती है, हम नहीं मानते.

हम जरनैल सिंह भिंडरांवाले को संत और शहीद मानते हैं, वे नहीं मानते. यह लोकतांत्रिक अधिकार हमें है कि नहीं? सरबत खालसा के दौरान ऐसा कोई भी नारा नहीं लगा. जबकि हमारे ऊपर ही तमाम केस किए गए. हमारी ताकत देख कर वे बौखला गए हैं. अब देखिए हम पंजाब में नशे के खिलाफ आंदोलन और अभियान चलाते हैं तो सुखबीर सिंह बादल हमें रैडिकल बताते हैं. 10 नवंबर 2015 को अमृतसर में हुए सरबत खालसा में दो सौ देशों के प्रतिनिधि आए थे. समारोह के बाद लोग जब वापस जा रहे थे, तभी सरकार ने उनपर बर्बर कार्रवाइयां शुरू कर दीं. लोग गिरफ्तार किए जाने लगे और उन पर देशद्रोह का मुकदमा ठोक दिया गया. इनमें सरबत खालसा के संयोजक और यूनाइटड अकाली दल के प्रधान भाई मोहकम सिंह समेत अकाल तख़्त साहब के कार्यकारी जत्थेदार भाई ध्यान सिंह मंड, शिरोमणी अकाली दल (अमृतसर) के नेता भाई जरनैल सिंह सखीरा, भाई परमजीत सिंह जजिआनी और भाई मनप्रीत सिंह समेत कई लोग शामिल हैं. विधान सभा के चुनाव में अकाली दल की हार को भांप कर बादल पिता-पुत्र सिखों को बंदी बनाने और उन्हें प्रताड़ित करने में लगे हैं.

राजस्थान नहर को लेकर पंजाब में चल रहे आंदोलन और यूनाइटेड अकाली दल के स्टैंड पर यूनाइटेड अकाली दल के नेता कहते हैं कि पंजाब की मांगों को लेकर 35 वर्ष पहले चार अगस्त 1982 को धर्म युद्ध मोर्चे का अभियान शुरू हुआ था. हमने उसे ही फिर से प्रासंगिक बनाया है. गुरदीप सिंह बठिंडा कहते हैं कि पंजाब का पानी बचाने के लिए हमने चार अगस्त को सांकेतिक रूप से राजस्थान नहर में मिट्टी डालने का अभियान शुरू किया. उसमें मेरे समेत तकरीबन पांच सौ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था. धर्म युद्ध मोर्चे को फिर से तीव्र करने की यह सांकेतिक शुरुआत थी. धर्मयुद्ध मोर्चा अकाली दल ने 1982 में लगाया था लेकिन एक भी मांग आज तक नहीं मानी गई. जबकि तथाकथित सिखों की सरकार पंजाब में रही और तथाकथित सिख समर्थक पार्टी की केंद्र में सरकार रही. आज भी पंजाब के पानी को लूटा जा रहा है. आनंदपुर साहिब प्रस्ताव की मांगों को पूरा कराने के लिए यूनाइटेड अकाली दल प्रतिबद्ध है. राजस्थान नहर में मिट्टी डालने के सांकेतिक कार्यक्रम को रोकने के लिए की गई गिरफ्तारियों पर मोहकम सिंह कहते हैं कि प्रकाश सिंह बादल की सरकार ने पंजाब के हालात इमरजेंसी से भी अधिक खराब कर रखे हैं, जहां लोगों को अपनी बात रखने के जुर्म में जेल में ठूंस दिया जाता है. यूनाइटेड अकाली दल के प्रधान भाई मोहकम सिंह तो यह भी कहते हैं कि अकाली दल और भाजपा में सतलज यमुना लिंक कैनाल को लेकर गुप्त समझौता हुआ है. केंद्र सरकार ताकत का इस्तेमाल कर सतलज को यमुना से जोड़ने का प्रयास करेगी. इसके खिलाफ अकाली नेता इस्तीफा देने की नौटंकी करेंगे और लोगों को बेवकूफ बनाएंगे. भाई मोहकम सिंह कहते हैं कि पंजाब के लोग सीधे-सादे लोग हैं उनके साथ गंदी राजनीति नहीं होनी चाहिए.

आशंका के दौर से गुज़र रहा पंजाब

पिछले एक दशक में पंजाब की जो हालत बनी है उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि पंजाब राज्य और पंजाब के लोग कठिन दौर से गुजर रहे हैं. पंजाब कैसे सुधरेगा, नशे का जंजाल कैसे खत्म होगा, पंजाब के किसानों की खुशियां कैसेे वापस लौटेंगी, यह प्रश्‍न यहां के लोगों को परेशान कर रहा है. सिख पंथ का सदियों से नेतृत्व करने वाले सर्वोच्च संस्थान श्री अकाल तख्त और सरबत खालसा का विरोधाभास भी सार्वजनिक हो रहा है. सिख समुदाय यह मान रहा है कि सिख पंथ की नुमाइंदगी करने का दावा करने वाले शिरोमणि अकाली दल (बादल) की सरकार के दौरान सिख पंथ की प्रतिष्ठा घटी है. सिमरनजीत सिंह मान के शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) और भाई मोहकम सिंह के नेतृत्व वाले यूनाइटेड अकाली दल का सैद्धांतिक अलगाव भी पंथिक एकता की कमजोरी का ही प्रमाण है. अलगाववाद के मसले पर यूनाइटेड अकाली दल ने खुद को मान गुट से अलग कर रखा है. इसमें भी दो मत नहीं कि पंजाब की स्थितियों के कारण चरमपंथी तत्व दोबारा सिर उठाने लगे हैं. पूरा सिख पंथ नेतृत्वहीनता की स्थिति से रूबरू है. यूनाइटेड अकाली दल के दावों और आम आदमी पार्टी के वादों को देखते हुए आम सिख पूछने लगे हैं कि क्या सिख पंथ अधर की इस स्थिति से उबर पाएगा? हालांकि फिलहाल इस सवाल का कोई जवाब सामने नहीं है. यूनाइटेड अकाली दल के अमृतसर प्रमुख भाई परमजीत सिंह जजिआनी कहते हैं कि नवंबर 2015 में अमृतसर में हुआ सरबत खालसा ऐसा थर्मामीटर साबित हुआ है जो भविष्य के राजनीतिक तापमान को दिखा रहा है. उस ताकत को देखते हुए ही पंजाब सरकार ने 10 नवंबर को अमृतसर के चब्बा गांव में हुए सरबत खालसा में नियुक्त किए गए तीन जत्थेदारों ध्यान सिंह मंड, बलबीर सिंह दादूवाल और अमरीक सिंह अजनाला समेत लगभग 20 नेताओं पर देशद्रोह का मुकदमा ठोक दिया. इन लोगों में शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रधान सिमरनजीत सिंह मान, जसकरण सिंह, सतनाम सिंह मनावा, यूनाइटेड अकाली दल के प्रधान भाई मोहकम सिंह समेत कई प्रमुख लोग शामिल थे. पंजाब सरकार इन्हें कट्टरपंथी ताकतें बताती है. उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने तो यहां तक कहा कि ये चरमपंथी संगठन पंजाब में आईएसआईएस व तालिबान की तर्ज पर कट्टरपंथी सत्ता स्थापित करना चाहते हैं. ये अमन-शांति और सद्भावना के लिए खतरा हैं. उदारवादी पंथक नेताओं को खत्म करके ये पूर्व आतंकी फिर से एकजुट होने लगे हैं, वगैरह-वगैरह. सुखबीर ने यह भी कह डाला कि आईएसआई और अन्य एजेंसियां इनके कंधे पर हथियार रख कर पंजाब का माहौल खराब करने की कोशिश कर रही हैं. पंजाब में अफगानिस्तान, सीरिया और मिस्र जैसे माहौल पैदा करने की साजिश हो रही है. लेकिन, पंजाब सरकार किसी भी हालत में राज्य का माहौल खराब नहीं होने देगी. जगतार सिंह हवारा को जत्थेदार बनाए जाने पर सुखबीर ने कहा था कि जिन्होंने कत्लेआम किया हो वह सिख कौम को क्या संदेश देंगे? दूसरी तरफ, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के आरोपी जगतार सिंह हवारा को सरबत खालसा द्वारा श्री अकाल तख्त साहिब का जत्थेदार बनाए जाने पर यूनाइटेड अकाली दल की किरकिरी जरूर हुई, इसमें कोई संदेह नहीं. लेकिन पंजाब के लोग इसे दबाने के लिए अतिरंजित प्रशासनिक दबाव बनाए जाने को सर्वथा अनुचित ठहराते हैं. वे पूछते हैं कि क्या इसके लिए पंजाब सरकार पंजाब पुलिस के बूते फिर से कहर ढाएगी? क्या पंजाब पुलिस अपनी ताकत का फिर से अंधा इस्तेमाल करेगी? आम सिख नागरिकों के दहशत भरे ये सवाल पंजाब की मनोदशा का संकेत देते हैं.

नशे के ख़िलाफ़ यूनाइटेड अकाली दल के अभियान से एकजुट हो रहा पंजाब

यूनाइटेड अकाली दल के अमृतसर प्रमुख भाई परमजीत सिंह जजिआनी कहते हैं कि नशे के काले कारोबार और नशे की लत के खिलाफ पूरे पंजाब में यूएडी की तरफ से अभियान चलाया जा रहा है. यह अभियान इतना प्रभावी हो रहा है कि गांवों से लोग हमें अपने यहां बुला रहे हैं. अभी हमारा अभियान पंजाब के सारे जिलों और पुलिस-जिलों में चलाया जा रहा है. इसके समापन के बाद हम उन गांवों का चयन करेंगे जो नशे से अधिक प्रभावित हैं, वहां हम अपना अभियान सघन करेंगे. नशे के खिलाफ यूनाइटेड अकाली दल द्वारा चलाए जा रहे अभियान को अभिभावकों की तरफ से व्यापक समर्थन प्राप्त हो रहा है, क्योंकि वे इस काले धंधे के भुक्तभोगी हैं. भाई परमजीत कहते हैं कि यूएडी के इस अभियान से भी सत्ताधारी दल में बौखलाहट है. इसे रोकने के लिए भी वे हमें समाजविरोधी या देशविरोधी बता सकते हैं.

सिख पंथ की प्रतिष्ठा के लिए बना था यूनाइटेड अकाली दल

भारतीय संविधान के दायरे में रह कर पंजाब राज्य के लोगों और सिख पंथ की बेहतरी के इरादे से वर्ष 2014 में यूनाइटेड अकाली दल का पुनर्गठन किया गया था. संत जरनैल सिंह भिंडरांवाले के पिता बाबा जोगिंदर सिंह पहले यूनाइटेड अकाली दल के मुखिया हुआ करते थे. पुनर्गठित यूनाइटेड अकाली दल का अध्यक्ष सह संयोजक यूनाइटेड सिख मूवमेंट के अध्यक्ष और दमदमी टकसाल के मुख्य प्रवक्ता भाई मोहकम सिंह को बनाया गया था. मअज दी आवाजफ के सम्पादक गुरदीप सिंह बठिंडा इसके महासचिव बने थे. शिरोमणि अकाली दल (मान) से अलग कर बनाए गए यूनाइटेड अकाली दल का गठन संघीय आधार पर किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य संविधान के दायरे में रहते हुए सिख परंपरा और पहचान को कायम करना और भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के हिंदू राष्ट्र बनाने के प्रयासों को रोकना था. यूनाइटेड अकाली दल का मानना है कि शिरोमणि अकाली दल ने सिख परंपरा को नष्ट करने का काम किया है.

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